भारत के इस गांव में हर घर की चौखट पर कब्र,भोग लगाए बिना नहीं खाते खाना,कभी खाट पर नहीं सोते
अजब-गजब : क्या आपने कोई ऐसा गांव देखा है जहां हर घर की चौखट पर कब्र हो ? पर आंध्र प्रदेश में एक गांव है अय्या कोंडा जहां पहुंचने पर आपको लगेगा कि कहीं आप किसी कब्रिस्तान में तो नहीं आ गए। यहां पूरा गांव कब्र से अटा पड़ा है, हर घर के बाहर एक या दो कब्र आपको दिख ही जाएगी। कुछ और अजीब रिवाज है यहां का जिसका लोग पालन करते हैं। आपको बता दें कि अय्या कोंडा कुरनूल डिस्ट्रिक से 66 किलोमीटर दूर गोनेगंदल मंडल में एक पहाड़ी पर बसा है। कुछ लोग गांव को आईकोंडा भी कहकर बुलाते हैं। यहां माला दासरी समुदाय के करीब 200 परिवार रहते हैं,यहां कोई कब्रिस्तान नहीं है।
गांव के लोग अपने सगे संबंधियों की मौत के बाद उनके शव को घर के सामने ही दफन करते हैं। उसके बाद वहीं एक कब्र बनाते हैं। करीब 200 साल से हर परिवार इन रीति रिवाजों का पालन कर रहा है। महिलाएं और बच्चे इन्हीं के आसपास रहते हैं।आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मकबरा उनके लिए पूजा स्थल की तरह है। ग्रामीणों का कहना है कि ये कब्र उनके पूर्वजों की हैं जिनकी वो रोज पूजा करते हैं। घर में पकाया जाने वाला खाना परिवार के सदस्य तब तक नहीं छूते जब तक उसे मृतकों की कब्र पर चढ़ाया नहीं जाता है। इतना ही नहीं,जब वो नए गैजेट्स भी ख़रीदते हैं तो पहले उसे इन कब्रों के सामने रखते हैं इसके बाद ही उसका इस्तेमाल शुरू करते हैं।यहां की एक और अजीब परंपरा है।
लोग कभी बेड पर नहीं सोते।इसके पीछे भी एक कहानी है ग्रामीणों के मुताबिक,बहुत पहले गांव में नल्ला रेड्डी नाम का एक जमींदार हुआ करता था। जब नल्ला रेड्डी की शादी हुई तो दहेज में उन्हें खाट नहीं मिली तब से ग्रामीणों ने तय कर लिया कि वे खाट पर नहीं सोएंगे। तभी से इस परंपरा का पालन किया जा रहा है, यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को भी फर्श पर सोना पड़ता है और प्रसव भी फर्श पर ही होता है। नल्ला रेड्डी को लोग आध्यात्मिक गुरु मानते हैं उनका मंदिर भी बनाया हुआ है जिसमें पूजा की जाती है।यहां के लोग किसी दूसरे गांव या जाति के लोगों से संबंध नहीं रखते, गांव के बाहर शादी नहीं करते। कुछ समय पहले वाल्मीकि बोया समुदाय के दो लोग वहां रहने लगे थे, लेकिन रहस्यमय तरीके से वे अज्ञात बीमारियों की चपेट में आ गए। इसके बाद गांव छोड़कर जाना पड़ा अब लोगों को अपने भविष्य की चिंता है। जब कब्र बनाने के लिए हमारे पास ज़मीनें नहीं रह जाएंगी तो हम क्या करेंगे?
Sources:news18 हिंदी