Fri. Nov 22nd, 2024

IGNFA के दीक्षांत समारोह में पहुंची राष्ट्रपति,101 अधिकारी हुए पास आउट

देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देहरादून इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का 54वां आरआर (2022.24 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम) के भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों का दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचीं। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के परिसर में आयोजित होने वाले समारोह में 2022.24 सत्र के 99 भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थी और मित्र देश भूटान के दो भी प्रशिक्षु अधिकारी पासआउट हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के यहां पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया है। इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि जंगलों के महत्व को मानव समाज भूलता जा रहा है। लोग भूल गए हैं कि जंगल जीवन देने वाले हैं।

यह केवल संसाधनों का भंडार नहीं बल्कि महत्वपूर्ण परिस्थितिकी तंत्र है। जो मनुष्य के जीवन चक्र में महती भूमिका निभाते हैं।आप सभी पर प्रकृति के संरक्षण का दायित्व है। उम्मीद है कि आप इस दायित्व को अच्छी तरह निभाएंगे। उन्होंने संरक्षण और विकास के बीच समन्वय कायम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। आप प्रकृति केंद्रित होकर ही मानव केन्द्रित हो सकते हैं। आगे कहा कि विकास के मानकों का मूल्यांकन करना होगा। प्रकृति के शाश्वत नियमों को अपने जीवन का आधार बनाएं।

संरक्षण में एआई तकनीक के समावेश पर भी उन्होंने जोर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि 21वी सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने संरक्षण के प्रयासों व नवाचार को अपनाना तथा प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने नए अधिकारियों से इस दिशा में और अधिक दूरदर्शिता से कार्य करने का आह्वान किया। कहा कि युवा पेशेवर होने के नाते आपको यह ध्यान रखना है कि आपके निर्णय देश की पर्यावरणीय नीव पर दीर्घकालिक असर डालने वाले हों।

वहीं राज्यपाल ने पहले अपने संबोधन में कहा कि हमारा राज्य हिमालय की गोद में बसा अतुलनीय गौरव प्रदान करता है। यह जड़ी बूटियों का गढ़ है। उसे ज्ञान कौशल और मूल्यों से परिपूर्ण किया है। उन्होंने पास आउट होने वाले अधिकारियों से कहा कि आने वाली कठिन चुनौतियों का सामना भी आपको अपनी क्षमताओं के साथ करना होगा।अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन प्राप्त करें। उनके साथ सहयोग करें। राज्यपाल ने कहा कि स्थानीय समुदायों के साथ जुड़े लोगों के साथ साझेदारी और संवाद बढ़ाए। कहा कि उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों के विषम क्षेत्र में वन अग्नि और बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने की चुनौतियां आपके सामने होगी।

इसका सामना केवल तकनीकि विशेषता के बल पर नहीं क्षमता और संरक्षण की प्रक्रिया प्रतिबद्धता के द्वारा ही किया जा सकता है।वर्तमान बैच से सबसे अधिक 15 अधिकारी मध्य प्रदेश राज्य को मिले हैं, जबकि उत्तराखंड को तीन अधिकारियों की सेवाएं मिलीं। 1926 से यह संस्थान पहले इंडियन फॉरेस्ट कॉलेज और अब राष्ट्रीय वन अकादमी के रूप में देश की सेवा कर रहा है। स्वतंत्र भारत के सभी भारतीय वन सेवा अधिकारियों और 14 मित्र राष्ट्रों के 365 वन अधिकारियों ने अब तक इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *