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अतंरिक्ष के लिए आज NASA का सबसे शक्तिशाली रॉकेट भरेगा उड़ान

आज शाम साढ़े छह बजे आर्टेमिस वन के तहत नए स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल की पहली टेस्ट फ्लाइट होगी। 322 फुट या कहें कि 98 मीटर लंबा रॉकेट नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। ये रॉकेट करीब 42 दिनों तक बिना चालक दल वाले ओरियन स्पेस क्राफ्ट को लॉन्च करेगा।तैयारी चांद को छूने की, नया मुकाम हासिल करने की और नया इतिहास लिखने की भी। चांद के पार चलो कि मुहिम के लिए कुछ इसी अंदाज में एस्ट्रोनॉट्स तैयारी भी करते दिखे।

दरअसल, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के आर्टेमिस वन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। वन मिशन को नासा अंजाम देने जा रहा है। भारतीय समय के मुताबिक शाम 6:30 मिनट पर ओरियोन स्पेस क्राफ्ट को छोड़ा जाएगा। इस मिशन की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। इंसानों को भेजने से पहले ये नासा की पहली फ्लाइट टेस्ट होगी। इसे फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से रवाना किया जाएगा।आज शाम साढ़े छह बजे आर्टेमिस वन के तहत नए स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल की पहली टेस्ट फ्लाइट होगी। 322 फुट या कहें कि 98 मीटर लंबा रॉकेट नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। ये रॉकेट करीब 42 दिनों तक बिना चालक दल वाले ओरियन स्पेस क्राफ्ट को लॉन्च करेगा।

स्पेस क्राफ्ट चंद्रमा तक जाएगा और कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़कर खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इस मिशन के तहत नासा स्पेस क्राफ्ट को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग हासिल करेगा। साथ ही चंद्रमा के आसपास के हालात की जांच करेगा। जिसका अनुभव अंतरिक्ष यात्रियों को मिलेगा। ये यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित भी करेगा।  ये इस रॉकेट का पहला मिशन है जिसमें कोई अंतरिक्ष यात्री सवार नहीं होगा। लेकिन यदि ये मिशन कामयाब रहता है तो, भविष्य में इस रॉकेट से अंतरिक्ष यात्री भी मिशन पर जा सकेंगे। यदि सबकुछ ठीक रहा तो इंसान 2024 से एक बार फिर चांद पर क़दम डाल सकेगा। आर्टेमिस नासा के लिए एक अहम मिशन है।  इस साल दिसंबर में नासा अपोलो 17 के चांद पर पहुंचने के 50 साल पूरे करेगा। ये आख़िरी बार था जब मनुष्य चांद पर गया था।

 

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