Mon. Nov 25th, 2024

महाराज ने प्रदेशवासियों को दी लोकपर्व हरेला की शुभकामनाएं

देहरादून। प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यावरण को समर्पित उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि हरेला उत्तराखंड के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। उन्होने कहा कि हरेला पर्यावरण की रक्षा और बारहमासा खेती को जीवंत बनाए रखने का प्रतीक पर्व है।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यावरण को समर्पित प्रदेशवासियों को लोकपर्व हरेला की बधाई देते हुए कहा कि हर किसी को खेती से जुड़े रहना चाहिए और हरियाली की पूजा करनी चाहिए, ताकि देश में कभी किसी को अनाज की कमी न हो। हरेला घर मे सुख, समृद्धि व शान्ति के लिए बोया और काटा जाता है। हरेला अच्छी फसल का सूचक है, हरेला इस कामना के साथ बोया जाता है कि इस साल फसलों को नुकसान ना हो।
श्री महाराज ने कहा कि हरेला को लेकर यह भी मान्यता है कि जिसका हरेला जितना बडा होगा उसे कृषि में उतना ही फायदा होगा। वैसे तो हरेला घर-घर में बोया जाता है, लेकिन किसी-किसी गांव में हरेला पर्व को सामूहिक रुप से स्थानीय ग्राम देवता मंदिर में भी मनाया जाता है।
श्री महाराज ने बताया कि हरेला प्रकृति के संतुलन बनाए रखने का पर्व है। यह मानव और पर्यावरण के अंतरसंबंधों का अनूठा पर्व है। उन्होने कहा कि वनों से हमें अनेक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं। जिनका प्रयोग औषधियां बनाने में किया जाता है।
श्री महाराज ने कहा कि हरेला केवल अच्छी फसल उत्पादन का ही नहीं, बल्कि ऋतुओं के प्रतीक के रूप में भी इसे मनाया जाता है। उन्होने बताया कि हरेले के पर्व को कहीं-कहीं हर-काली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। उत्तराखंड के पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखंड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *