मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की घोषणा, कोरोना काल में सराहनीय कार्यों के लिए ग्राम प्रधानों को 10 हजार की प्रोत्साहन राशि
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को गांधी पार्क, रूद्रपुर में आयोजित लोक योजना अभियान ’’सबकी योजना सबका विकास’’ के अंतर्गत कुमाऊं मंडल के पंचायत प्रतिनिधियों की राज्य स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला में प्रतिभाग किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम प्रधानों द्वारा कोरोना काल में विपरीत परिस्थितियों में सराहनीय कार्य करने पर 10 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि देने, कोविड-19 के दौरान कोविड में दर्ज मुकदमे वापस लेने, बाटा चौक का नाम डॉ.भीमराव अम्बेडकर के नाम पर करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष जिला पंचायत का मानदेय 5000 हजार से बढ़ाकर 7000 करने, उप प्रमुख, ज्येष्ठ कनिष्ठ क्षेत्र पंचायत का 1500 से 2500 करने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्षों को पूर्व की भांति राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने का भी प्रयास किया जायेगा। पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ अभी वर्ग-1 क की भूमि व स्वामित्व कार्ड वालों को ही आवास दिया जा रहा है। जिससे उधम सिंह नगर में 1000 लोग आवास से वंचित रह रहे हैं। इस सम्बन्ध में चौहद्दी निर्धारित कर आवास दिये जाने की व्यवस्था होने तक किसी भी आवास को सूची से डिलीट न किया जाये, इसके लिए डीएम व सीडीओ कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति बेहद सजग व संजीदगी से कार्य किये जा रहे हैं। आयुष्मान योजना से सम्बन्धित शिकायत मिलने पर सम्बन्धितों के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने डीआईजी को निर्देशित करते हुए कहा कि पुलिस थानों एवं चौकियों में जनप्रतिनिधियों को सम्मान मिले। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधानों का मानदेय बढ़ाकार उनका सम्मान किया है। यह हमारी भावना है कि जो समय, संसाधन है उससे किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पंचायतों को लगातार सशक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की, मजबूती में त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का सबसे बड़ा योगदान है। त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधि जनता व सरकार के बीच सेतू का कार्य कर रहे है। पंचायते आज लोकतंत्र की मूलभूत ईकाईयां है। पंचायतें ़़सामाजिक न्याय एवं आर्थिक विकास का आधार भी है। सरकारी योजनाओं को क्रियान्वयन करने की असली जिम्मेदारी त्रि-स्तरीय प्रतिनिधियों की है। त्रि-स्तरीय प्रतिनिधि पहले पायदान पर आते हैं, जहॉ से विकास की नीव शुरू होती है।
उन्होंने कहा कि उनका वोट तथा आवास सब ग्राम सभा में होने के कारण उनका रिश्ता-नाता सीधे-सीधे पंचायत से है। त्रि-स्तरीय प्रतिनिधियों की मान्यता व जिम्मेदारी से परिचित हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में न्याय हेतु सरपंच होता था, जिसके फैंसले को सब मानते थे। जनता की सेवा करने का अवसर मिला है, इसमें कैसे, अपने ग्राम, क्षेत्र, ब्लॉक एवं जिले को अच्छे से अच्छा कर सकते हैं, सभी को आपसी भागीदारी व तालमेंल से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सभी की सामूहिक यात्रा है। हम सभी एक-एक कड़ी के रूप में है, सभी कड़ियों को पूरी जिम्मेदारी से कार्य करना होगा।
आवश्यकतानुसार योजनाओं का चयन कर प्लान बनायेंगे, जिससे बजट अनुदान प्रथमतः आवश्यक एवं विकासपरक योजनाओं पर व्यय किया जा सकेगा।
कार्यशाला में पंचायतीराज विभाग एवं अन्य रेखीय विभागों के विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला में आये हुए समस्त प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया तथा उनके द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया। त्रिस्तरीय पंचायतों में जीपीडीपी, बीपीडीपी एवं डीपीडीपी में पंचायतों की आवश्यकतानुसार प्लान बनाकर अपलोड किये जाने के सम्बन्ध में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया, जिसमें पंचायतें मिलने वाले अनुदान का उचित प्रबन्धन कर उपयोग कर सकें।
कार्यक्रम में विधायक श्री राजेश शुक्ला, मेयर श्री रामपाल, अध्यक्ष वन विकास निगम श्री सुरेश परिहार, उपाध्यक्ष किसान आयोग श्री राजपाल सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेनु गंगवार, डीआईजी श्री नीलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी श्रीमती रंजना राजगुरू, एसएसपी श्री दलीप सिंह कुॅवर मौजूद थे।