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‘अग्निपथ’ भर्ती रैली पर नेपाल में रोक,मच रहा बवाल

भारत सरकार की अग्निपथ योजना का शुरू से ही विरोध हुआ है लेकिन सेना ने इस योजना के तहत अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन अभी भी भारतीय सैन्य सेवाओं में भर्ती की नयी योजना अग्निपथ चर्चा में है । आपको बता दें कि अब नेपाल में भी इस योजना की मुखालफत शुरू हो गई है। जैसा कि मालूम है कि इस समय तीनों सेनाओं में भर्ती की प्रक्रिया चल रही है और गोरखाओं की भर्ती के लिए नेपाली युवकों के लिए भी भर्ती कैम्प लगाये जाने की घोषणा भी की जा चुकी थी लेकिन अब नेपाल ने भारत से अनुरोध किया है कि अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती निलंबित कर दी जाए।

नेपाली मीडिया के अनुसार नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने नेपाल में भारत के राजदूत से मुलाकात करके अनुरोध किया था कि नयी योजना के तहत नेपाली युवकों की भर्ती की योजना को स्थगित कर दिया जाए। वहीं काठमांडू पोस्ट में प्रकाशित एक अन्य खबर के अनुसार भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट के लिए लुंबिनी प्रांत के बटवाल में नेपाली युवकों की भर्ती की तय योजना से एक दिन पहले यह मुलाकात हुई। इसके अलावा कांतिपुर अखबार के अनुसार विदेश मंत्रालय में हुई मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री नारायण खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि नेपाल सरकार भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर सकारात्मक रुख रखती है लेकिन सरकार अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद इस विषय पर फैसला लेगी क्योंकि भारत सरकार ने नयी सैन्य भर्ती योजना शुरू की है जिसको लेकर उनके मन में कुछ आशंकाएं हैं।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने जून में अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाएगा वहीं उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। इस क्रम में भारत में भर्ती शुरू हो चुकी है और नेपाल में भी भर्ती शिविर लगाने का ऐलान किया जा चुका था। आपको बता दें कि भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल हैं। माना जाता है कि इस वक्त 34 हजार नेपाली युवा भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट में तैनात हैं। अग्निपथ योजना के मुताबिक गोरखा रेजीमेंट में 1300 नेपाली युवाओं की भर्ती की जानी है। भर्ती रैली के लिए लिए गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो गोरखपुर और दार्जिलिंग ने नेपाल के बुटवल और धरान में भर्ती रैली की तारीख का ऐलान भी कर दिया था परन्तु नेपाल सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के कारण भर्ती रैली टालनी पड़ी है।

उल्लेखनीय है कि नेपाल के युवक लंबे समय से भारतीय सेना में भर्ती होते रहे हैं। दरअसल 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था जिसमें ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं में नेपाली युवकों को भर्ती करने का प्रावधान किया गया था।अब ये बात भी जान लेना जरूरी है कि नेपाल अग्निपथ योजना का विरोध क्यों कर रहा है। दरअसल नेपाल में सवाल खड़ा हुआ है कि चार साल बाद उन नेपाली युवकों का क्या होगा जोकि अग्निवीर बनकर आयेंगे।

नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने अग्निपथ योजना को 1947 की त्रिपक्षीय संधि का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि जिन सेवा शर्तों और सेवा अवधि के साथ नेपाल के नागरिकों को भारतीय सेना में भर्ती किया जा रहा था उसमें अचानक हुए बदलाव को हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं। इसके अलावा पूर्व रक्षा मंत्री भीम रावल ने कहा है कि अग्निपथ को उनकी पार्टी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा, भारत ने यह तब्दीली करने से पहले नेपाल से चर्चा तक नहीं की जो कि त्रिपक्षीय संधि का उल्लंघन है।

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