आतंकियों की शरणस्थली बन रहा उत्तराखंड !
उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड एटीएस ने हरिद्वार से गिरफ्तार किये बांग्लादेशी आतंकी
हरिद्वार/देहरादून: उत्तर प्रदेश के साथ कई अन्तर्रराष्ट्रीय सीमाओं से लगा उत्तराखण्ड आतकवादियों की शरणस्थली बन रहा है तो शायद गलत न होगा। पहले माओवादियों की उत्तराखण्ड में घुसपैठ केू मामले प्रकाश में आये थे। उसके बाद पाक समर्थित आतंकी संगठनों से जुड़े लोग हरिद्वार और देहरादून से गिरफ्तार किये जा चुके हैं। एक बार फिर उत्तराखण्ड के संबसे संवेदनशील शहर धर्मस्थली हरिद्वार से बांग्लादेशी आतंकी गतिविधियों में संल्प्ति लोगों का गिरफ्तार होना सोचने पर मजबूर कर देता है। गौरतलब है कि यूपी एटीएस के हत्थे चढ़े आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेट,अलकायदा बरं-ए-सगीर एवं जमात-उल.मुजाहिद्दीन बांग्लादेश से जुड़े आरोपियों के तार हरिद्वार से जुड़े होने का मामला सामने आया है। आपको बता दें कि ये बांग्लादेशी संदिग्ध सिडकुल से सटे गांव सलेमपुर में किराये पर रह रहे थे।
यूपी एटीएस के सनसनीखेज खुलासे ने उत्तराखंड पुलिस की भी नींद उड़ाकर रख दी है। अब खुफिया एजेंसियां स्थानीय स्तर पर आतंकियों के नेटवर्क को खंगालने के साथ ही चौकसी बढ़ा दी गई। यूपी एटीएस की गिरफ्त में आए आतंकी गतिविधियों में शामिल बांग्लादेशी आरोपी तल्हा एवं अलीनूर गांव सलेमपुर में रह रहे थे।वे एटीएस के हत्थे चढ़ने से चंद दिन पूर्व ही यहां पहुंचे थे। यूपी एटीएस की ओर से जारी प्रेस नोट में इस बात की जानकारी दी गई है कि रुड़की के गांव नगला इमरती के रहने वाले मुदस्सिर और कामिल निवासी जाहीरपुर देवबंद सहारनपुर इनके लिए स्लीपर सेल थे इन्होंने ही आरोपियों को यहां ठहराया था। आपको बता दें कि पिछले कई साल से कामिल भी यहां रहकर दिहाड़ी मजदूरी कर रहा था और वह ही मुदस्सिर से जुड़ा हुआ था।
मुदस्सिर ने ही दोनों बांग्लादेशियों को कामिल के पास भेजा था। एटीएस की तफ्तीश में खुलासा हुआ कि कामिल के बैंक खाते में ढाई लाख की टेरर फंडिंग भी की गई थी। यहां आने से पहले बांग्लादेशी अलीनूर उर्फ जहांगीर मंडल उर्फ इनामुलहक बांग्लादेशी आतंकियों के साथ पानखीउड़ा मदरसे ग्वालपाड़ा असम में शिक्षक के तौर पर रह रहा था,जिसके बाद ही यहां आया था। आतंकियों का हरिद्वार कनेक्शन सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ गई है, चूंकि सलेमपुर मिश्रित आबादी वाला क्षेत्र है लिहाजा खुफिया एजेंसियां इस बात की तह तक जाने में जुटी है कि कई वर्षों से रह रहे कामिल के संपर्क में आखिर कौन-कौन लोग थे।