Sun. Nov 24th, 2024

कब खत्म होगी उत्तराखंड में नए जिलों के गठन पर चुनावी कदमताल

अभिज्ञान समाचार/अल्मोड़ा।

“योगिता बिष्ट”

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 की सरगर्मियाँ तेज हो चली हैं। कुछ चुनावी वादों को याद कर जनता आने वाले चुनाव की रणनीति बनाने मे जुटी है। ऐसे वादे जिन्हें अमली जामा पहनाया जाना बाकी रह गया था। ऐसी ही एक घोषणा उत्तराखंड में 8 नये जिले बनाए जाने की थी। महत्वपूर्ण बात यह थी कि भाजपा ने 2011 में चार नए जिले बनाने की घोषणा की थी लेकिन कांग्रेस सरकार उससे चार कदम आगे बढ़ते हुए एक साथ आठ नए जिलों के गठन की कवायद में जुटी थी। इनमें डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, यमुनोत्री, रुड़की व ऋषिकेश शामिल थे। लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी भाजपा की ओर से घोषित महज 4 जिलों की वह घोषणा भी पूरी न हो सकी। उन घोषणाओं पर अमल न होने से नाराज क्षेत्रवासियों ने अब आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिया है। रानीखेत में संघर्ष समिति ने मशाल जुलूस के माध्यम से सरकार को वृहद आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली है।

बता दें कि 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निंशक ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 4 नये जिलों रानीखेत, डीडीहाट, कोटद्वार और यमनोत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी जिले अस्तित्व में ना आ सके। हालांकि कांग्रेस सरकार ने जिलों के लिए एक पुर्नगठन आयोग बनाया और 8 जिले बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया। लेकिन मामला राजनीतिक उठापटक के चलते ठंडे बस्ते में चला गया। वर्ष 2017 में भाजपा के सत्ता में आने से लोगों की उम्मीदें फिर से जाग उठी। लोगों का कहना है कि भाजपा सरकार का ये कार्यकाल भी पूरा होने को है और आम जनता को बीते साढ़े चार सालों में निराशा ही हाथ लगी है। इस वर्ष 15 अगस्त को भी लोग जिलों की घोषणा की आस लगाए बैठे थे, लेकिन इस बार भी मायूसी हाथ लागी। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो एक बार फिर इन जिलों के गठन की मांग तेज हो गई है। जनता जुलूस निकालकर सरकार को चेता रही है। संघर्ष समिति ने कहा है कि रानीखेत अंग्रेजों के समय से एकमात्र तहसील थी, राज्य बनने के बाद छह तहसीलें बन गई लेकिन रानीखेत को अभी तक जिले का दर्जा नहीं मिल पाया है। जनता ने सरकार से इन जिलों की घोषणा ना होने पर वृहद आंदोलन की चेतावनी दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *