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कानूनों में बदलाव कर खत्म किया जाए कुष्ठ रोगियों से भेदभावः मानवाधिकार आयोग

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के लिए एडवाइजरी जारी कर उन 97 कानूनों से भेदभावपूर्ण प्रविधान हटाने के लिए कहा है जो कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों का रास्ता रोकते हैं। इन प्रविधानों के चलते कुष्ठ रोगी उन सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाते जो देश के नागरिकों के लिए होती हैं।
एनएचआरसी ने यह भी कहा है कि कुष्ठ रोग की समय से पहचान, उसके इलाज और उसको खत्म करने की उचित व्यवस्था भी की जाए जिससे पीड़ित व्यक्ति को भेदभाव का सामना न करना पड़े। यह एडवाइजरी एनएचआरसी के प्रमुख जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्र की ओर जारी की गई है। इसमें सरकार को इस तरह की कानूनी व्यवस्था बनाने की भी सलाह दी गई है जिसके तहत कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर कार्रवाई हो। कुष्ठ रोगी को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और जमीन के मालिकाना हक की सुविधाएं और अधिकार सामान्य व्यक्ति जैसे ही मिलना सुनिश्चित किया जाए। एडवाइजरी में कहा गया है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे जिसमें बताया जाए कि कुष्ठ रोग इलाज से ठीक होने वाली बीमारी है। कुछ दवाओं के जरिये इसे ठीक किया जा सकता है। उसके बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है, सफल वैवाहिक जीवन भी इसमें शामिल है। साथ ही एडवाइजरी में कहा गया कि यह भी बताया जाए कि पीड़ित परिवार के साथ रहकर स्वस्थ हो सकता है और सामान्य व्यक्ति जैसे सारे कार्य कर सकता है। इसके लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने पर जोर दिया गया है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में कुष्ठ रोग से जुड़ी भ्रांतियां दूर करने वाली बातें शामिल करने की सलाह दी गई है जिससे सामाजिक सोच में बदलाव आ सके।

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