ढांचागत विकास के लिए पीएम गतिशक्ति बना मूल मंत्र
नई दिल्लीे। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के हिसाब से एक उन्नत एवं विश्वस्तरीय ढांचागत सुविधा स्थापित करने को लेकर आम बजट 2022-23 में एक बार फिर आगे की राह दिखाती नजर आ रही है। सरकार ने इस बजट के जरिए फिर से स्पष्ट किया है कि पिछले वर्ष घोषित श्पीएम गतिशक्तिश् ही हर तरह के ढांचागत सुविधाओं के विकास का आधार होगा। सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, मास ट्रांसपोर्ट, जलमार्ग और लाजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को सात ऐसे इंजन के तौर पर चिन्हित किया गया है जिसको लेकर नीतिगत जोर काफी ज्यादा रहेगा।
इन सातों इंजनों को अतिरिक्त शक्ति देने के लिए इनर्जी ट्रांसमिशन, आइटी संचार, जल निकासी एवं सामाजिक संचरनाओं का सतत विकास जारी रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इन सुविधाओं पर ध्यान देने से ही स्थाई विकास सुनिश्चित होगी और भारी तादाद में नौकरियां पैदा होंगी। बजट में बताया गया है कि समग्र ढांचागत विकास के लिए पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी तैयार किया जाएगा।
इसकी खासियत यह होगी कि इसके लिए राज्यों की तरफ से तैयार होने वाली ढांचागत परियोजनाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसके लिए राज्यों को अलग से एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन करने का फैसला किया गया है। उद्देश्य यह है कि ढांचागत परियोजनाओं की प्लानिंग करने से लेकर उनका निर्माण करने व फंडिंग की व्यवस्था करने में नई सोच को शामिल किया जा सके।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मास्टर प्लान देश में सामानों एवं लोगों के आवागमन की सहूलियत के लिए विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं स्थापित करेगा। इससे उत्पादकता भी बढ़ेगी व विकास की दर भी तेज होगी। सनद रहे कि एक दिन पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2024-25 तक देश को पांच ट्रिलियन डालर की इकोनोमी बनाने के लिए 105 लाख करोड़ रुपये की दरकार है।
हालांकि बजट में यह नहीं बताया गया है कि इस भारी भरकम राशि का इंतजाम कहां से होगा। हां वित्त मंत्री ने यह जरूर कहा है कि ढांचागत क्षेत्र में निजी निवेश में बड़ी वृद्धि की जरूरत है। सरकारी व निजी क्षेत्र की मदद से लगाई जाने वाली परियोजनाओं को भी ज्यादा आकर्षक बनाने का संकेत दिया गया है और इसमें बाहरी एजेंसियों के अनुभव का फायदा लेने की बात कही गई है।
इस क्रम में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर यानी पर्यावरण के हितों के मुताबिक लगाई जाने वाली परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए ग्रीन बांड्स जारी करने का संकेत दिया गया है। ये बांड्स सरकारी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए जारी किये जाएंगे। बजटीय प्रस्तावों से साफ पता चलता है कि ढांचागत क्षेत्र में पर्यावरण अनुकूल उद्योगों और नई टेक्नोलोजी कंपनियों की अहमियत और बढ़ेगी। अर्बन प्लानिंग से जुड़े देश के प्रसिद्ध विशेषज्ञों को मिला कर एक समिति बनाने की बात कही गई है। इसके जरिए देश में शहरीकरण की सबसे बड़ी चुनौतियों से लड़ने की सोच दिखाई गई है। इसी तरह से रोजाना 50 किलोमीटर सड़क रोजाना बनाने की मंशा भी बताती है कि सड़क निर्माण की रफ्तार किस स्तर पर पहुंच गई है। सड़क एवं ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए आवंटित बजट में 65 फीसद का इजाफा किया गया है जो किसी भी एक वर्ष में इस मद में की गई सबसे बड़ी वृद्धि है।