द्रोपति मुर्मू महिला सशक्तिकरण के पर्याय के साथ जनजातीय समाज का सशक्त चेहराः राकेश राणा
देहरादून। भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का धन्यवाद करते हुए बताया कि जिस प्रकार से पिछले 8 सालों से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप मे आदिवासी समाज के समग्र विकास की चिंता करते हुए अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं से जनजाति समाज को मजबूत करने के लिए समय-समय पर कदम उठाए उससे जनजातीय समाज देश की मुख्यधारा में आज प्रवेश कर चुका है। पिछले वर्ष जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर 15 नवंबर को हर वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया यह अपने आप में यह दिखाता है कि जनजाति समाज से जुड़े महापुरुषों के कार्यों को देश के प्रत्येक व्यक्ति से अवगत कराना और वह किस प्रकार से सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने उसके लिए प्रधानमंत्री ने इन 8 वर्षों में निरंतर वह सब कार्य किए हैं।
राकेश राणा ने बताया कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आंतरिक मजबूती की खूबसूरत और अद्भुत शैली को प्रदर्शित करता हैं। उन्होंने बताया कि पार्षद के रूप में राजनीतिक कॅरिअर शुरू करने वाली द्रौपदी का बतौर अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) से देश का पहला महिला राष्ट्रपति बनना तय है। राकेश राणा ने बताया कि ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर हमेशा संघर्षों से भरा रहा है।
उन्होंने बताया कि आर्थिक अभाव होने पर भी उन्होंने शिक्षा को महत्व देते हुए स्नातक की शिक्षा प्राप्त करी। उन्होंने उड़ीसा सरकार में भी अपनी सेवाएं दी। उनका राजनीतिक सफर भी बहुत सफल रहा जिसमें कि उन्होंने सभी वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। राजनीति के लिए भाजपा को चुना और इसी पार्टी की हो कर रह गई। साल 1997 में पार्षद के रूप में उनके राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत हुई। राकेश राणा ने बताया कि साल 2000 में पहली बार विधायक और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री बनने का मौका मिला। उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर साल 2015 में उन्हें झारखंड का पहला महिला राज्यपाल बनाया गया। वह पहली उड़िया महिला है जिन्हें भारत के किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राकेश राणा ने बताया कि द्रोपति मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाता है। वह जवानी में ही विधवा होने के अलावा दो बेटों की मौत से भी वह नहीं टूटीं। इस दौरान अपनी इकलौती बेटी इतिश्री सहित पूरे परिवार को हौसला देती रहीं। राकेश राणा ने बताया यह महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि जिस दिन वह राष्ट्रपति के पद पर विराजमान होगी वह जनजातीय समाज के लिए गौरव का क्षण होगा और भारत एक नए इतिहास को लिखेगा।