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मदन कौशिक व धन सिंह रावत के बाद केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम को झेलना पड़ा विरोध, पीएम मोदी के दौरे पर भी विरोध की तैयारी

अभिज्ञान समाचार/ रुद्रप्रयाग।

उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड बनने के बाद से लगातार विरोध हो रहा है। चारों धामों के पुरोहित समाज सरकार के इस निर्णय से बेहद खफा है। उनका मानना है कि देवस्थानम बोर्ड आने के बाद उनके हक हकूक सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। सोमवार को पुरोहित समाज की नाराजगी विरोध के तौर पर सामने आई। केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को नाराज तीर्थ पुरोहितों का विरोध झेलना पड़ा। नतीजतन त्रिवेंद्र सिंह रावत को बिना दर्शन किए जीएमवीएन गेस्ट हाउस लौटना पड़ा। हालांकि आज ही केदारनाथ पहुंचे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिह रावत को भी पंडित समाज का विरोध झेलना पड़ा था। बावजूद इसके उन्होंने मंदिर जाकर दर्शन किए।

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दरअसल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सभी चार धामों के तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारी लगातार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार बोर्ड भंग करने के पक्ष में नहीं है। उत्तराखंड सरकार का मानना है की देवस्थानम बोर्ड बनने से चार धामों में विकास एवं सुविधाएं बढ़ेंगी। लेकिन तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारी इसके विरोध में खड़े हैं। यही विरोध सोमवार को केदारनाथ के दर्शन को गए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को झेलना पड़ा। पुरोहित समाज का कहना था कि त्रिवेंद्र सरकार के समय ही देवस्थानम बोर्ड बनाने पर जोर दिया गया था और इसे लाने का श्रेय भी उन्हीं को है। लिहाजा उनका विरोध किया जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों नें स्पष्ट कहा कि बोर्ड को भंग किया जाए ताकि उनके हित प्रभावित न हो। इसी के मद्देनजर 4 नवंबर को केदारनाथ आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी विरोध झेलना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि हक हकूक धारियों और तीर्थ पुरोहितों के पास विरोध का ही एकमात्र रास्ता बचा है लिहाजा वह प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे को भी विरोध करते हुए उसे प्रभावित कर सकते हैं।

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