महिला अधिकारों पर आधारित होगा कॉमन सिविल कोड: जस्टिस देसाई
देहरादून: बहुप्रतिक्षित कॉमन सिविल कोड लागू करने का सीएम धामी का संकल्प लगभग पूरा होने को है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने प्रस्तावित कानून में महिला अधिकारों पर जोर देने के संकेत दिए हैं। समिति ने जनजातीय समाज के कानूनों और परंपराओं पर भी सम्मान के साथ विचार करने की बात कही है। इसके लिए उत्तराखंड के लोगों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धर्म समुदायों के लिए विवाह,तलाक,गोद लेने जैसे कार्यों पर एक तरह का कानून बनाने का प्रावधान करती है।संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखा है कि राज्य सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। समिति की पांचवीं बैठक अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में सर्किट हाउस एनेक्सी में हुई।
इसके बाद राजभवन सभागार में अध्यक्ष जस्टिस देसाई ने प्रस्तावित कानूनों पर राय लेने के लिए वेबपोर्टल लांच किया। जस्टिस देसाई का कहना है कि उत्तराखंड के सभी नागरिक, संस्थाएं, सरकारी इकाईयां, सरकारी संस्थाएं, सामाजिक समूह, समुदाय, धार्मिक संस्थाए और राजनीतिक दल भी अपनी राय दे सकते हैं। इस मौके पर समिति के सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघन सिंह, दून विवि की वीसी प्रो0 सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ भी शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन सदस्य सचिव अजय मिश्रा ने किया।जस्टिस देसाई ने कहा कि उत्तराखंड में निवासरत जनजातियों की विशिष्ट परंपराओं और कानूनों पर भी समिति विचार करेगी लेकिन इसे किस तरह किया जाएगा इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। सदस्य शत्रुघन सिंह ने कहा कि मौजूदा कानून बनाते समय भी विभिन्न समुदायों की परंपराओं और मान्यताओं का सम्मान किया गया था।समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए हमें सभी का सहयोग चाहिए। लोग खुले दिल से सुझाव,आपत्ति,शिकायत,विचार हमें दे सकते हैं। सब पर गंभीरता से विचार होगा।