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अभिषेक से‘पत्थर जीवित‘हो सकता है,तो शव क्यों नहीं चल सकते : स्वामी प्रसाद

उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समापन के एक दिन बाद, समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने समारोह के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की है, और राम मंदिर और हिंदू आस्था का मजाक उड़ाया है। उन्होंने इस समारोह को पाखंड और धोखाधड़ी करार दिया और कहा कि अगर अभिषेक से ‘पत्थर’ जीवित हो सकता है, तो शव चल.फिर क्यों नहीं सकते ? मौर्य गाजीपुर में कर्पूरी ठाकुर सेना द्वारा आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों को भाजपा के बारे में सच्चाई जानने और पार्टी की विचारधारा से दूर रहने की जरूरत है।

अक्सर हिंदू आस्था पर विवादित बयान देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि एक टीवी डिबेट में एक संत कह रहे थे कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां पत्थरों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। एक सपा नेता भी बहस का हिस्सा थे, उन्होंने कहा कि जिन परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो गई है, उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जानी चाहिए और फिर वे हमेशा के लिए जीवित रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि प्राण प्रतिष्ठा से पत्थर जीवित हो जाता है तो मृत व्यक्ति चल क्यों नहीं सकता ? यह सब दिखावा और पाखंड है ….. लोग प्राण प्रतिष्ठा करके खुद को भगवान से भी बड़ा समझते हैं।

हिंदू मान्यताओं और धर्मग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने की आदत रखने वाले मौर्य ने आगे दोहराया कि यह आयोजन एक राजनीतिक स्टंट था और अगर यह एक धार्मिक आयोजन होता, तो 4 शंकराचार्य भी इसका हिस्सा होते। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य राम मंदिर और हिंदू आस्था के खिलाफ विवादित बयान देते रहे हैं। हाल ही में 10 जनवरी को, उन्होंने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश को उचित ठहराया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1990 में रथयात्रा के बाद कई निहत्थे कारसेवकों की मौत हो गई थी।

राम मंदिर आंदोलन के चरम के दौरान 2 नवंबर 1990 को यूपी पुलिस ने कारसेवकों पर गोलियां चलाई थीं।स्वामी प्रसाद मौर्य ने कारसेवकों पर गोली चलाने के तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के आदेश को ‘क्लीन चिट’ देते हुए कहा, ‘‘जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर घटना हुई थी, अनियंत्रित तत्वों ने न्यायिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप के बिना बड़े पैमाने पर बर्बरता की।’ मौर्य लगातार रामचरितमानस पर भी सवाल उठाते रहे हैं।

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