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अजब-गजब: इस मंदिर में दर्शन करने के बाद भोजन करते हैं मिट्ठू

इंदौर: आपने इंसानों को तो भगवान की भक्ति में लीन देखा होगा लेकिन क्या कभी पक्षियों को भक्ति करते हुए देखा है नहीं, तो अब देख लीजिए। इंदौर का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां लाखों की संख्या में तोते आते हैं और हनुमानजी के दर्शन कर ज्वार दाने का प्रसाद ग्रहण करते हैं।शहर के पश्चिमी क्षेत्र में करीब 200 वर्ष पुराना पंचकुइयां श्री राम मंदिर है। जहां पर खेड़ापति बालाजी का भी मंदिर भी है। यहीं पर करीब 50 वर्षों से तोतों को ज्वार डाली जा रही है। लाखों की संख्या में तोते नियमित रूप से यहां आते हैं। तोतों को ज्वार डालने का कार्य रमेश अग्रवाल द्वारा निरंतर किया जा रहा है।

तोतों को नियमित रूप से प्रातः 5ः30 बजे ज्वार डाली जाती है, चाहे कैसा भी मौसम हो। कोरोना काल में भी रमेश जी द्वारा नियमित रूप से ज्वार डाली गई थी।रमेश का मानना है कि पंचकुइयां क्षेत्र में संतों ने बहुत तपस्या की है। अतः यह एक तपोभूमि है, इसलिए जो तोते ज्वार ग्रहण करने आते हैं, वे संत रूपी हैं। यह हनुमानजी की कृपा भी है कि यह लंगर करीब 50 वर्षों से निरंतर चला आ रहा है।

यह सेवा उस समय से दी जा रही है, जब हनुमानजी का मंदिर एक चबूतरे पर था। बाकी जगह खेत हुआ करते थे खेत में ही ज्वार डाली जाती थी, तब भी तोते आते थे।आगे बताया कि धीरे-धीरे कुछ भक्तों से चंदा इकट्ठा कर कर फर्शियों की व्यवस्था की गई। उस पर ज्वार डाली जाने लगी। उसके बाद जंगली जानवरों से पक्षियों को बचाने के लिए दाल मिलो की जालियों से बाउंड्री की व्यवस्था की गई। फिर धीरे-धीरे परिवर्तन का दौर आया व हनुमानजी के मंदिर पर 5000 वर्ग फीट की छत का निर्माण किया गया। विगत 50 वर्षों से तोतों की सेवा हनुमान मंदिर की इसी छत पर निरंतर की जा रही है।

तोतों की लगती है पंगत

विशेष बात यह है कि जब तोते प्रसाद ग्रहण करने आते हैं तो वे छत पर बैठने के बाद पहले हनुमानजी की ध्वजा के दर्शन करते हैं। फिर प्रसाद ग्रहण करना शुरू करते हैं। हजारों की संख्या में तोते आसपास के पेड़ों पर बैठे रहते हैं व अनुशासन के साथ अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जैसे ही तोतों की एक पंगत भोजन ग्रहण कर कर उठती है तब पेड़ों पर बैठे दूसरे तोते छत पर आ जाते हैं। तोतों को दी जाने वाली ज्वार की गुणवत्ता का विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। वर्ष भर दी जाने वाली ज्वार का खर्च विशेष रूप से नारायण जी अग्रवाल 420 पापड़ वाले व पीडी गर्ग द्वारा किया जाता है।

Sources: News 18

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