Mon. Mar 3rd, 2025

एटीएम फ्रॉड गैंग का खुलासा,अपना दल नेता समेत दो गिरफ्तार

कानपुर: साइबर सेल ने एटीएम में डिवाइस लगाकर एसबीआई को लाखों की चपत लगाने वाले दो जालसाजों को धर दबोचा। पकड़े गए आरोपियों में एक आरोपी की पहचान अपना दल (एस) से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुके वीरेंद्र उर्फ पंकज यादव व महाराजपुर के हाथीपुर मोड़ निवासी असरजीत के रूप में हुई। इनके गैंग का सरगना महाराजपुर के करबिगवां का बट्टा मौके से भाग गया। आरोपी दो दर्जन से ज्यादा वारदातों को अंजाम चुके हैं।

इनके पास से तीन मोबाइल फोन, 38 डेबिट व क्रेडिट कार्ड, 8 एटीएम स्टील प्लेट (डिवाइस), 4 पासबुक, 1 चेक बुक, 2 आधार कार्ड भी बरामद हुए हैं। दोपहर बाद पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। डीसीपी ने गुडवर्क करने वाली टीम को 25 हजार का इनाम दिया है। डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ दिन एसबीआई प्रबंधन ने बिना मशीन को नुकसान पहुंचे एटीएम से रुपये निकलने की शिकायत की। एडीसीपी क्राइम अंजली विश्वकर्मा ने जांच की, तो पता चला कि बिना सुरक्षा वाले एसबीआई के एटीएम को निशाना बनाया जा रहा था।

सभी एटीएम के सीसीटीवी कैमरे चेक किए गएए तो सभी वहां एक कार दिखाई दी। कार का नंबर ट्रेस किया गया तो उसकी लोकेशन श्यामनगर इलाके में मिली। पता चला कि असरजीत अपनी कार लेकर बाकी दोनों आरोपियों के साथ घटना को अंजाम देने जाता था। आरोपी दिसंबर 2024 से एटीएम को निशाना बना रहे थे। उन्होंने यूट्यूब से एटीएम से रुपये निकालने की कला सीखी थी। आरोपियों का कहना है कि बट्टा देसी डिवाइस बनवाकर लाता था। इन्हें प्रदेश के बाहर भी 20 से 25 हजार में बेचता था।

डीसीपी के मुताबिक आरोपी मशीन का ऊपर का शटर चाबी से खोलते थे और उसके अंदर कैश ट्रे में देसी डिवाइस लगा देते थे। ग्राहक जब रुपये निकालने बूथ पर पहुंचता, तो पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी रुपये नहीं निकलते थे। कार में बैठे शातिर मशीन के पास पहुंचकर चाबी से शटर खोलकर डिवाइस में फंसे रुपये निकाल लेते थे। रुपये न निकलने पर ग्राहक का नुकसान नहीं होता था। मशीन से ट्रांजेक्शन न होने पर उसे बैंक से रकम वापस आ मिल जाती थी, इसलिए कोई ग्राहक न थाने जाता था और न ही बैंक।आरोपी वीरेंद्र ने बताया कि उनका प्रतिदिन तीन से पांच लोगों को जाल में फंसाकर खातों में रुपये डलवाना होता था। एक खाते से अगर 10 हजार रुपये की ठगी करते थे तो दो हजार रुपये जिस खाते में रकम गई ह, उसका किराया होता था। इस समय वे 90 किराये के खाते इस्तेमाल कर रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *