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डिग्री के नाम पर बड़ा घोटाला: मोनाड यूनिवर्सिटी बनी फर्जीवाड़े का अड्डा

हापुड़/दिल्ली : उत्तर प्रदेश के हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में चल रहे एक बड़े फर्जी डिग्री और मार्कशीट रैकेट का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया है। जांच में सामने आया है कि हरियाणा के पलवल निवासी संदीप सेहरावत इस गिरोह का मुख्य सदस्य था, जिसने विदेश में नौकरी और उच्च शिक्षा के नाम पर हजारों फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेच दी थीं। यह घोटाला मोनाड यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा की मिलीभगत से चल रहा था।

प्रिंटिंग प्रेस से सीखा फर्जीवाड़े का हुनर

संदीप सेहरावत दिल्ली की एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था, जहां वह डिग्री और मार्कशीट छापने की तकनीक सीख गया। इसी दौरान उसकी मुलाकात चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा से हुई। एसएसपी एसटीएफ घुले सुशील चंद्रभान के अनुसार, हुड्डा ने सेहरावत की जानकारी का लाभ उठाते हुए उसे हापुड़ बुलाया और दोनों ने मिलकर एक सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा शुरू किया।

देश-विदेश में फैला नेटवर्क

पूछताछ में संदीप ने खुलासा किया है कि फर्जी डिग्री खरीदने वाले ग्राहक मुख्यतः वे लोग थे, जो विदेश में नौकरी या उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर रहे थे। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों में भी कई लोग इस फर्जीवाड़े का फायदा उठाकर सरकारी नौकरियों में भर्ती हो चुके हैं।

अब तक 10,000 से ज्यादा डिग्री और मार्कशीट बेची गईं

एसटीएफ को आशंका है कि अब तक 10,000 से अधिक फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट जारी की जा चुकी हैं। जांच टीम फिलहाल मोनाड यूनिवर्सिटी में डटी हुई है और गहन पूछताछ जारी है।

फेल छात्रों को मिल रही थी पासिंग मार्कशीट

जांच में यह भी सामने आया है कि चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा अपने करीबी मुकेश ठाकुर के जरिए फेल छात्रों को फर्जी मार्कशीट देकर दाखिला दिलवा रहा था। मुकेश के मोबाइल से कई ऐसी चैट्स मिली हैं, जिनमें डिग्री और मार्कशीट सौंपने की बात स्पष्ट है।

अब तक ये अधिकारी गिरफ्तार

रविवार को एसटीएफ ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह, चेयरमैन के निजी सचिव मुकेश ठाकुर, वेरीफिकेशन डिपार्टमेंट हेड गौरव शर्मा, विपुल ताल्यान, एडमिशन डायरेक्टर इमरान, और अकाउंटेंट अनिल बत्रा को गिरफ्तार किया है। इन सभी से पूछताछ जारी है और कई और नामों के खुलासे की उम्मीद जताई जा रही है।

अभी और भी खुलासे संभावित

हापुड़ पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। रिमांड पर लिए गए आरोपियों से पूछताछ के बाद यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कितने लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची गईं और इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है।

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