फसल बीमा और क्षतिपूर्ति आंकड़ों के लिए भट्ट गांव में हुआ क्रॉप कटिंग अभ्यास

पौड़ी : जिले में फसलों की औसत उपज और उत्पादन के आंकड़ों को सटीकता के साथ संकलित करने के उद्देश्य से आज संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेट ने विकासखंड कोट के अंतर्गत भट्ट गांव का दौरा किया। उन्होंने जौ की फसल पर किए जा रहे क्रॉप कटिंग प्रयोगों का जायजा लिया और मौके पर मौजूद अधिकारियों व ग्रामीणों से भी संवाद किया।
भट्ट गांव में राजस्व विभाग की देखरेख में कृषक कमला देवी और राम सिंह के खेतों में 30 वर्ग मीटर के निर्धारित प्लॉट पर क्रॉप कटिंग प्रयोग किया गया। इस प्रयोग के तहत सीसीई एग्री ऐप (CCE Agri App) के माध्यम से आंकड़ों को संकलित किया गया, जिससे पारदर्शिता और वास्तविकता सुनिश्चित हो सके। इन दोनों खेतों से क्रमशः 6 किलो 300 ग्राम और 6 किलो 200 ग्राम जौ की फसल प्राप्त हुई, जिससे कुल उपज 12 किलो 500 ग्राम दर्ज की गई।
संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेट ने इस अवसर पर खेत का नक्शा, खसरा, रजिस्टर सहित सभी भू-अभिलेखों की गहन जांच की। उन्होंने दोनों कृषकों से बोये गए जौ के बीज, फसल की देखरेख, सिंचाई व्यवस्था, उर्वरकों के प्रयोग इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आंकड़ों के संकलन में किसी प्रकार की लापरवाही न हो, ताकि जिले के उत्पादन से संबंधित रिपोर्ट्स पूर्णतः सही और उपयोगी बन सकें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि क्रॉप कटिंग प्रयोगों से प्राप्त उपज के आंकड़ों के आधार पर ही जनपद में फसलों की औसत उपज और कुल उत्पादन का अनुमान लगाया जाता है। यही आंकड़े आगे चलकर फसल बीमा योजनाओं और प्राकृतिक आपदा में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विशेष बात यह रही कि निरीक्षण के दौरान संयुक्त मजिस्ट्रेट ने खुद खेत में जाकर जौ की कटाई की और किसानों के साथ काम कर जमीनी स्थिति का अनुभव किया। इस प्रतीकात्मक सहभागिता ने अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच विश्वास और समन्वय की भावना को भी प्रबल किया।
निरीक्षण के दौरान तहसीलदार पौड़ी दीवान सिंह राणा, कानूनगो राजेंद्र नेगी, राजस्व उपनिरीक्षक सुनली रावत सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों की सराहना की और आशा जताई कि इससे उन्हें उचित फसल बीमा व लाभ मिलेगा।
संयुक्त मजिस्ट्रेट के इस दौरे से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि प्रशासन किसानों के हितों के प्रति गंभीर है और हर संभव प्रयास कर रहा है कि कृषि से जुड़े प्रत्येक पहलू का आकलन ईमानदारी और वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए। इस पहल से न केवल कृषि डेटा का डिजिटलीकरण बढ़ेगा, बल्कि किसानों को भी पारदर्शी व लाभकारी योजनाओं का अधिक प्रभावी लाभ मिलेगा।