10वें दिन भी जंतर- मंतर पर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी
नई दिल्ली: कोलकाता के एक अस्पताल में एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के 10वें दिन बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से एक ने कहा कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने कार्यस्थल में बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए लड़ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के कारण शहर भर के कई सरकारी अस्पतालों में वैकल्पिक सेवाएं स्थगित रहीं। रेजिडेंट डॉक्टर विरोध प्रदर्शन के लिए सुबह 11 बजे जंतर-मंतर पर पहुंचे। शनिवार के बाद यह उनका दूसरा जमावड़ा था।
‘दोषी को सजा दो’ और ‘शौक नहीं, मजबूरी है, यह हड़ताल जरूरी है’ जैसे नारे विरोध स्थल पर गूंज रहे थे, क्योंकि प्रमुख रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए थे। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर राधिका शर्मा ने कहा कि न केवल एक डॉक्टर के रूप में, बल्कि एक महिला के रूप में, मैं अक्सर काम करते समय असुरक्षित महसूस करती हूं। मुझे काम के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है और लगातार अपनी सुरक्षा के बारे में सोचना पड़ता है, अक्सर सुरक्षा के लिए मेरे पास चाबी या कुछ और होता है।
शर्मा ने कहा कि स्थिति हमारी समझ से परे है…. यह एक जन आंदोलन है और हमें सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई डॉक्टरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अपने कार्यस्थलों पर बेहतर कार्य स्थितियों के लिए लड़ रहे हैं। एक अन्य प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा कि हम इसे राष्ट्रीय मुद्दा मानने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं, लेकिन हम हड़ताल जारी रख रहे हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि यह मुद्दा जल्द से जल्द किसी निष्कर्ष पर पहुंचे। डॉक्टर ने कहा कि सुरक्षा केवल आश्वासन नहीं होनी चाहिए हम एक सुरक्षा अधिनियम चाहते हैं और हम इसे केंद्र सरकार से चाहते हैं।
दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों के ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) के सदस्य, ष्फेडरेशन आफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन(फोरडा) और ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन(एफएआईएमए)के साथ मिलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को सेमीनार हॉल के भीतर चिकित्सक का शव पाया गया था जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे। कोलकाता पुलिस ने इस घटना के संबंध में अगले दिन एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी।