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साहब! देखिए मैं जिंदा हूं,बुजुर्ग महिला डेथ सर्टिफिकेट लेकर लगा रही अधिकारियों के चक्कर

जमुई : जिले में एक जीवित महिला अपनी ही मौत का प्रमाण पत्र लेकर घूम रही है और जिंदा होने का सबूत मांग रही है। जीते जी एक महिला को कागजों पर मरा हुआ घोषित कर दिया गया। महिला कागजों में खुद को जिंदा करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट के साथ कार्यालयों के चक्कर लगा रही है। दरअसल, यह चौंकाने वाला मामला जमुई जिला के चकाई प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आने वाली माधोपुर पंचायत का है।

जहां बुधवाडीह वार्ड संख्या-11 की रहने वाली लखपति देवी नामक की एक महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया है। अब इसे लेकर महिला ने आवेदन दिया है। मामला संज्ञान में आने के बाद चर्चा का विषय बना हुआ है और सवाल उठने लगा है कि आखिर एक जिंदा महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे निर्गत किया जा सकता है।

दरअसल, यह पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है। लखपति देवी के पति स्व। धनेश्वर यादव ने दो शादी की थी और दोनों पत्नियों से ही उन्हें संतान हुई। उनकी पहली पत्नी की मृत्यु हो गई, जबकि दूसरी पत्नी लखपति देवी अभी जीवित हैं। लखपति देवी के पुत्र लालकिशोर यादव ने बताया कि पिता स्व। धनेश्वर यादव के पास 4।25 एकड़ जमीन थी। जिस पर कब्जा करने के लिए सौतेले भाई के द्वारा यह काम किया गया है और उसी के द्वारा ही जिंदा मां का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया गया है। उसने बताया कि इस पूरे मामले में प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा भी लापरवाही बरती गई और बिना जांच-पड़ताल के जिंदा रहते ही मां का मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया गया।

जानें मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया

बिहार में योजना और विकास विभाग द्वारा किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसका प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है। अस्पताल में मृत्यु होने के बाद आवेदक को अस्पताल द्वारा जारी किए गए डेथ सर्टिफिकेट के साथ आवेदन करने पर ही मृत्यु प्रमाण पत्र मिलता है, जबकि सड़क दुर्घटना में मौत होने पर थाना में दर्ज एफआईआर की कॉपी लगाने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो ग्राम सरपंच या मुखिया के द्वारा अभिप्रमाणित करने के बाद ही मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने का प्रावधान है।

बीडीओ ने कहा- मामले की कराई जा रही है जांच

ऑनलाइन करने के दौरान भी ग्राम सरपंच या ग्राम प्रधान के द्वारा अभिप्रमाणित कॉपी को भी उस में लगाना होता है। जिसके बाद फिर योजना एवं विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा इसकी जांच की जाती है। तत्पश्चात ही किसी व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है, लेकिन इस पूरे मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ और एक जिंदा महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा दिया गया जो अपने आप में काफी अनोखा मामला है और अब यह मामला पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हालांकि इस बाबत चकाई प्रखंड विकास पदाधिकारी दुर्गाशंकर ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। महिला के द्वारा आवेदन दिया गया है और इसकी पूरी जांच कराई जा रही है।

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