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बूढ़ी दिवाली पर निकली होलियात,देर रात तक चला लोक नृत्या

देहरादून। जौनसार के कई गांवों में बूढ़ी दिवाली पर स्थानीय ग्रामीणों ने परंपरागत अंदाज में गाजे-बाजे के साथ होलियात निकाली। हाथ में मशालें लेकर निकले ग्रामीणों ने पंचायती आंगन में लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। जौनसार में अगले चार दिनों तक बूढ़ी दिवाली का जश्न चलेगा। पर्व को लेकर दिन में ग्रामीणों ने छावनी बाजार चकराता में जमकर खरीदारी की। इस दौरान बढ़ती ठंड को देखते हुए गर्म कपड़ों की ज्यादा मांग रही।जौनसार के उपलगांव खत से जुड़े ठाणा-टुंगरा में स्थानीय ग्रामीणों ने ढ़ोल-दमोऊ के साथ बूढ़ी दिवाली पर होलियात निकाली। क्षेत्र में अगले चार दिनों तक चलने वाले इस लोक पर्व में पहले दिन नैंदरी दिवाली की होलियात, दूसरे दिन बड़ी दिवाली को होलियात, तीसरे दिन बिरुड़ी व चैथे दिन जंदोई मनाई जाएगी। शाम को खाना खाकर सभी लोग गाजे-बाजे के साथ अपने घरों से मशालें लेकर पंचायती आंगन में एकत्र हुए। यहां देर रात तक नाज-गाने का दौर चला। स्थानीय महिलाओं व पुरुषों ने अलग-अलग टोली में हारुल के साथ तांदी नृत्य की प्रस्तुति दी। स्याणा राजेंद्र जोशी, अर्जुन दत्त जोशी, सालकराम, वीरेंद्र जोशी, मायादत्त, रतन सिंह चैहान, विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती व खुशीराम जोशी आदि ने कहा कि जौनसार में लोग पीढ़ियों से बृढ़ी दिवाली मनाते आ रहे हैं। क्षेत्र में इस लोक पर्व को मनाने का अंदाज भी परंपरागत है। स्थानीय लोग यहां ईको फ्रेंडली दिवाली मनाते हैं। इसमें लोक नृत्य के साथ मेहमान नवाजी की परंपरा है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को जौनसारी जनजाति समाज की इस पुरातन संस्कृति को जीवित रखना चाहिए। ग्रामीणों ने बूढ़ी दिवाली पर मेहमानों को घर-घर दावत दी। इसमें मेहमानों को स्थानीय लजीज पकवान व व्यंजन परोसे जा रहे हैं।क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली का जश्न शुरू होने से स्थानीय लोग घरों के लिए सामान की खरीदारी करने छावनी बाजार चकराता पहुंचे। बाजार में ग्रामीणों ने ठंड से बचने को गर्म कपड़े व अन्य सामान खरीदा। चिउड़ा मूड़ी व मुरमुरे खरीदे। बाजार में ग्राहकों की भारी भीड़ जुटने से स्थानीय व्यापारियों के चेहरे खिले रहे। कई गावों के मुख्य बाजार चकराता में सुबह से शाम तक काफी रोनक रही।

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