पहलगाम हमले का प्रभाव:भारत ने पाक से व्यापार संबंधों को किया समाप्त “

नई दिल्ली : भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के व्यापार संबंधों को समाप्त कर दिया है, जो कि हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का प्रतिकार है। इस निर्णय से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, और इसके साथ ही अटारी-वाघा सीमा को भी बंद कर दिया गया है। यह कदम भारतीय सरकार की तरफ से पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।
अटारी-वाघा सीमा, जो अमृतसर में स्थित है, भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा व्यापारिक रास्ता है। इस सीमा के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापार की अहम मात्रा होती है। अब इस सीमा के बंद होने से लगभग 3886.53 करोड़ रुपये के सीमा पार व्यापार के रुकने का खतरा है, जो कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार: आंकड़े और स्थिति
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुमान के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार बहुत कम है, लेकिन अप्रत्यक्ष माध्यमों से भारत से पाकिस्तान में हर साल लगभग 10 अरब डॉलर का सामान पहुंचता है। 2024 में, दोनों देशों के बीच व्यापार में 127 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, और यह 1.2 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। हालांकि, यह आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले कम है, लेकिन 2023 के 0.53 बिलियन डॉलर की तुलना में यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।
पिछले वर्षों में व्यापारिक उतार-चढ़ाव
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों में 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद से काफी गिरावट आई थी, जब दोनों देशों के बीच व्यापार 3 बिलियन डॉलर तक पहुंचा था। उसके बाद से व्यापार में लगातार गिरावट आई, खासकर पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे।
भारत पाकिस्तान को दवाइयाँ, फार्मास्युटिकल सामग्री, चीनी, चाय, कॉफी, कपास, लोहा, इस्पात, टमाटर, नमक, ऑटोमोटिव घटक और उर्वरक जैसी चीज़ें भेजता है, जबकि पाकिस्तान से भारत मसाले, खजूर, बादाम, अंजीर, तुलसी और मेंहदी जैसी जड़ी-बूटियाँ आयात करता है।
पाकिस्तान की रणनीति: व्यापार का नया मार्ग
भारत द्वारा व्यापारिक संबंधों को समाप्त करने के बाद, पाकिस्तान को अब अपने व्यापार के लिए यूएई, सिंगापुर और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के माध्यम से भारतीय सामान आयात करना होगा। पाकिस्तान के लिए यह एक नई चुनौती हो सकती है, क्योंकि अब उसे उच्चतर कीमतों और लंबी शिपिंग प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस घटनाक्रम के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है, और यह भविष्य में दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।