अब खतरनाक इलाकों में शहीद नहीं होंगे जवान,निगरानी करेंगे रोबोडॉग्स,सैनिक दिमाग से कर पाएंगे कंट्रोल
देश की सुरक्षा का भार उसकी आर्मी पर होता है। इसमें शामिल सैनिक अपनी जान की परवाह किये बगैर हर खतरे से लड़ने को तैयार होते हैं। उनके लिए अपनी जान से ज्यादा जरुरी देश की हिफाजत होती है। लेकिन इस दौरान कई बार ऐसे हादसे हो जाते हैं, जिनमें इन सिपाहियों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दरअसल, कई देशों में दुश्मन ऐसी जगहों पर जाकर छिप जाते हैं जो वीरान होते हैं। इनके बारे में सिपाहियों को ज्यादा जानकारी नहीं होती। ऐसे में दुश्मन इन्हीं इलाकों में अटैक कर देते हैं और सिपाहियों की जान चली जाती है।लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब इनकी जान बचाने के लिए बनाए जा रहे हैं रोबोडॉग्स।
जी हां, ये रोबोटिक कुत्ते इन एरियाज में घूमेंगे और किसी भी तरह की संदिग्ध हरकत देख सिग्नल दे देंगे। इनसे फायदा ये होगा कि अब सिपाहियों की जान नहीं जाएगी। सबसे ख़ास बात कि ये रोबोडॉग्स इन्हीं सिपाहियों के दिमाग से कंट्रोल होंगे। यानी सिपाही किसी सुरक्षित जगह पर बैठकर इन खतरनाक जगहों में घूमकर दुश्मनों के घर में सेंध लगा पाएंगे।ये रोबोट डॉग्स पूरी तरह से इंसान के दिमाग से कंट्रोल होंगे। इन्हें जल्द ही सड़कों पर देखा जा सकता है। ये मिलिट्री ऑपरेशंस और लॉ इंफोर्समेंट का हिस्सा होंगे।
बात इनकी बनावट की करें तो ये चार पैर पर चलने वाले फ्रेंडली रोबोट्स होंगे जो अपने सिपाहियों के दोस्त और दिशमनों के छक्के छुड़ाने वाले होंगे। इन्हें फिलाडेल्फिया के घोस्ट रोबोटिक्स ने डिजाइन किया है। दुश्मनों पर नकेल कसने के लिए इनका इस्तेमाल किये जाने की तैयारी है। अभी इसे ऑस्ट्रेलियाई मिलिट्री में शामिल करने की तैयारी की जा रही है।ऑस्ट्रेलियाई मिलिट्री के लिए भले ही रोबोडॉग्स नए हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल NYPD काफी पहले कर चुकी है।
इसका इस्तेमाल उस केसेस में किया जाता है जहां पुलिस ऑफिसर्स को भेजना जानलेवा है। इन रोबोडॉग्स की वजह से दुश्मन भी पकड़े जाते हैं और सिपाहियों की जान भी बच जाती है। NYPD ने इनका नाम डीजीडॉग्स रखा है। लेकिन इन्हें बंद कर दिया गया। अब एक बार फिर ऑस्ट्रेलियाई मिलिट्री इनका इस्तेमाल शुरू कर रही है। अगर ये तकनीक कामयाब हो जाए, तो भारत में इसके इस्तेमाल से कई सिपाहियों की जान बचाई जा सकेगी। देखना है कि कब ये तकनीक भारत में आएगी?
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