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लहसुन-प्याज के नाम से खौफ खाते हैं इस गांव के लोग, 45 सालों से किसी ने नहीं चखा स्वाद

प्याज और लहसुन अपने घटते-बढ़ते दामों की वहज से हमेशा खबरों की हेडलाइन में बने रहते हैं। ज्यादातर घरों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। प्याज-लहसुन के इस्तेमाल से खाने का स्वाद बढ़ जाता है। यह शरीर की इम्युनिटी पर जबरदस्त असर दिखाते हैं और मौसमी बीमारियों के खतरे को कम करते हैं।

इतने फायदे होने के बाद भी कई लोग इससे परहेज करते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पिछले 40 से 45 सालों से लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं किया गया है। गांव में मौजूद सभी घरों में लहसुन-प्याज खाने से लोग दूरी रखते हैं। इसका इतना खौफ है कि इसे बाजार से भी नहीं खरीदते हैं।

कहां है यह गांव?जिस गांव का यहां जिक्र किया जा रहा है, वह बिहार के जहानाबाद के नजदीक है। यह गांव जहानाबाद जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है जिसे त्रिलोकी बिगहा गांव के नाम से जाना जाता है जोकि चिरी पंचायत के अंतर्गत आता है। इस गांव में तकरीबन 30 से 35 घर मौजूद हैं और यहां के सभी घरों में प्याज और लहसुन खाने की साफ मनाही है। यहां के सभी लोग बिना प्याज और लहसुन का खाना खाते हैं।

क्या है असल वजह?

त्रिलोकी बिगहा गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस गांव में तकरीबन 40 से 45 साल पहले ही लोगों ने प्याज और लहसुन खाना छोड़ दिया था और इस परंपरा का पालन यहां के लोग लंबे समय से करते चले आ रहे हैं। गांव के बुजुर्गों की मानें तो गांव में ठाकुरबाड़ी का मंदिर मौजूद है जो कि सालों पुराना है और इसी मंदिर की वजह से लोगों ने लहसुन-प्याज से दूरी बना ली है। उनका कहना है कि कई लोगों ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की तो उनके घरों में कई तरह की अनहोनी देखी गई।

इन घटनाओं के बाद यहां के लोगों ने लहसुन-प्याज खाना ही नहीं बल्कि बाजार से लाना भी छोड़ दिया। सिर्फ लहसुन और प्याज ही नहीं इस गांव में मांस और शराब जैसी चीजों की सख्त मनाही है। यहां आपको कोई भी शराब पीते हुए नहीं नजर आएगा और यहां के लोगों ने मांस का भी त्याग कर रखा है।

ZeeHindi।com –

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