ताजमहल में शाहजहां उर्स पर उठे सवाल, हिंदू संगठन ने किया अदालत का रुख
आगरा: ताज महल में मुगल बादशाह शाहजहां के 369वें ‘उर्स’ के आयोजन से तीन दिन पहले एक हिंदू संगठन ने आगरा सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर उर्स के आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता अखिल भारत हिंदू महासभा ने भी ताज महल के अंदर ‘उर्स’ के लिए मुफ्त प्रवेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए सुनवाई की तारीख 4 मार्च तय की है। हिंदू संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय जाट ने कहा कि उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी थी, जिसमें यह जानना चाहा था कि क्या ‘उर्स’ के आयोजन के लिए कोई अनुमति दी गई थी। एएसआई ने जवाब दिया कि ‘उर्स’ आयोजन समिति को ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी
। इसलिए, अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस प्रथा को समाप्त करने के लिए अदालत का रुख किया है। तीन दिवसीय ‘उर्स’ कार्यक्रम इस साल 6 फरवरी से 8 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। यह अवधि शाहजहाँ की मृत्यु की याद में मनाई जाती है, जिसने 1653 में यमुना नदी के तट पर ताज महल बनवाया था। इस कार्यक्रम को ‘चादर पोश’, ‘चंदन’, ‘गुसुल’ और ‘कुल’ सहित अन्य अनुष्ठानों द्वारा चिह्नित किया जाता है। ‘उर्स’ के अंतिम दिन 1,880 मीटर या उससे अधिक की ‘चादर’ चढ़ाई जाती है।
हिंदू महासभा की संभागीय अध्यक्ष मीना दिवाकर और जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने बताया कि जब एएसआई स्मारकों के अंदर कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो सकता है, तो ‘उर्स; का आयोजन अवैध है। सौरभा शर्मा ने आगे कहा कि हिंदू महासभा काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्मभूमि के आदेश की तर्ज पर ताज महल परिसर के सर्वेक्षण के लिए याचिका दायर करने का इरादा रखती है। इस बीच, ‘उर्स’ आयोजन समिति के अध्यक्ष सैयद इब्राहिम जैदी ने दावा किया है कि एएसआई इस आयोजन के लिए वार्षिक अनुमति जारी करता है और इस साल भी अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले, ‘उर्स’ की व्यवस्था पर चर्चा के लिए एएसआई कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी।