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राजकीय विद्यालयों में रिकॉर्ड नामांकन: 80,771 छात्रों ने लिया दाखिला

देहरादून : प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में इस वर्ष शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए नामांकन प्रक्रिया ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि 01 अप्रैल से 21 अप्रैल 2025 के मध्य 80,771 छात्र-छात्राओं का नामांकन राजकीय विद्यालयों में किया गया है, जिसे उन्होंने विद्यालयी शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि करार दिया।

डॉ. रावत ने बताया कि यह नामांकन प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर हुआ है। इस बार की नामांकन प्रक्रिया में सभी जनपदों से उत्साहजनक आंकड़े सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, देहरादून ने सबसे अधिक 13,613 नामांकन के साथ पहला स्थान हासिल किया है, जबकि हरिद्वार में 9,288, टिहरी गढ़वाल में 7,248, पौड़ी में 6,820, और नैनीताल में 6,265 छात्र-छात्राओं ने दाखिला लिया है।

अन्य जनपदों में भी उत्साहवर्धक नामांकन दर्ज हुए हैं:

  • अल्मोड़ा: 6,476

  • पिथौरागढ़: 5,582

  • बागेश्वर: 3,386

  • ऊधमसिंह नगर: 3,426

  • चम्पावत: 3,688

  • चमोली: 5,330

  • उत्तरकाशी: 5,122

  • रुद्रप्रयाग: 4,527

प्रवेशोत्सव की शुरुआत

शिक्षा मंत्री ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने और अधिक से अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेशभर में ‘प्रवेशोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष अभियान के तहत नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं को न केवल विद्यालय में औपचारिक रूप से दाखिला दिया जा रहा है, बल्कि उन्हें निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें, यूनिफॉर्म और अन्य आवश्यक सामग्री भी प्रदान की जा रही है।

शिक्षकों और अधिकारियों को सौंपा गया जिम्मा

श्री रावत ने बताया कि राज्य सरकार सरकारी विद्यालयों की छवि को सुदृढ़ बनाने और उनकी ओर अभिभावकों का विश्वास लौटाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ विद्यालयी वातावरण को भी बेहतर बनाया जा रहा है, ताकि विद्यार्थी एक प्रेरणादायी और सुरक्षित वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर सकें।

इस दिशा में विद्यालयी शिक्षा विभाग ने स्थानीय स्तर पर अधिकारियों, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में जाकर अधिक से अधिक नामांकन सुनिश्चित करें। इसके लिए अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें सरकारी विद्यालयों की सुविधाओं और शिक्षा के स्तर से अवगत कराया जा रहा है।

सरकारी स्कूलों में बढ़ रहा भरोसा

हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारात्मक प्रयासों — जैसे स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल शिक्षण सामग्री, स्पोर्ट्स सुविधाएं और नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम — के कारण सरकारी स्कूलों की साख में सुधार हुआ है। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले परिवार अब सरकारी विद्यालयों को एक बेहतर विकल्प मानने लगे हैं।

डॉ. रावत ने विश्वास जताया कि शिक्षा विभाग के समर्पित प्रयासों से इस वर्ष और भी अधिक छात्र-छात्राएं सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित होंगे। उन्होंने कहा कि विभाग का लक्ष्य है कि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा से वंचित न रह पाए।

सरकार की प्रतिबद्धता

शिक्षा मंत्री ने अंत में यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले समय में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में और भी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी और संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा, “राजकीय विद्यालय अब अभाव नहीं, अवसर का केंद्र बन रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हर बच्चा गर्व से कह सके कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ता है।”

यह रिकॉर्ड नामांकन न केवल सरकार की शिक्षा नीति की सफलता को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी है कि राज्य में शिक्षा का स्तर एक सकारात्मक दिशा में अग्रसर है।

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