वैज्ञानिकों का खुलासा,धरतीवासियों से दूर जा रहे हैं ‘‘चंदा मामा’’ !
बच्चों को चंद्रमा से जुड़ी कई कविताएं पढ़ाई जाती हैं, ‘चंदा मामा दूर के’, ‘हठ कर बैठा चांद एक दिन’, आदि। वहीं बड़ों ने तो चंद्रमा की तुलना अपने मेहबूब से ही कर दी और उसको अपने प्रेमी या प्रेमिका जैसा बता दिया। सोचिए कि हमारी जिंदगी में चांद कितना महत्वपूर्ण है। उसने कवियों, कहानीकारों, दार्शनिकों को लिखने की प्रेरणा दी है। विज्ञान के मामले में भी चांद का धरती पर काफी असर पड़ता है। पर अब वैज्ञानिकों ने चांद से जुड़ी एक अजीबोगरीब खबर के बारे में बताकर सभी को हैरान कर दिया है। खबर ये है कि बच्चों के प्यारे ‘चंदा मामा’ अब हमसे दूर जा रहे हैं!
ऑडी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चंद्रमा हर साल धरती से कुछ दूर होता जा रहा है। हालांकि, ये शिफ्ट काफी धीमा है। रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा प्रत्येक वर्ष करीब 3।8 सेंटीमीटर धरती से दूर होता जा रहा है। लंबे वक्त से वैज्ञानिक चंद्रमा पर दुनिया बसाने के बारे में बातें करते हैं। देशों ने चंद्रमा के हिस्से पर दावा तक ठोंकने की बात कर दी है, पर अब जब ये खबर आई है कि चंद्रमा हर साल हसमे दूर आ रहा है, तो शायद वहां जाना सपने जैसा हो जाएगा क्योंकि आगे चलकर अगर वो इतनी दूर चला गया कि वहां से धरती पर ही ना लौटा जा सके तो लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।नासा के अनुसार चंद्रमा के दूर जाने की ये प्रक्रिया नई नहीं है।
चांद चार खरब साल पुराना है और पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिकों ने ये अनुमान लगाया है कि वो धरती से दूर जा रहा है। इसका पता साल 1969 से लगाया गया था जब अपोलो मिशन के दौरान लिफ्लेक्टिव पैनल चांद पर लगाए गए थे। उन्हीं पैनल के जरिए वैज्ञानिकों ने चांद और धरती की दूरी का पता लगाया था।जब भी धरती के ऑर्बिट में थोड़ा सा भी परिवर्तन आता है, धरती तक आने वाली सूरज की रोशनी पर भी असर पड़ता है। जब वैज्ञानिकों ने धरती के ऑर्बिट में फर्क, सूर्य और चांद से दूरी का पता लगाया तो उन्होंने अंदाजा लगाया कि करीब 2 खरब साल पहले, चंद्रमा, धरती से 60 हजार किलोमीटर नजदीक था, पर समय के साथ वो दूर होता गया। ऐसा इसी वजह से हुआ क्योंकि धरती के ऑर्बिट में परिवर्तन हुआ। यानी पहले धरती पर 17 घंटे का दिन रहता होगा। नासा के अनुसार धरती और चांद की फिलहाल दूरी है 3,84,400 किलोमीटर।
Sources: News18 हिंदी