“अयोध्या की ओर बढ़ता साया: रायबरेली से 60 करोड़ की आतंकी फंडिंग का पर्दाफाश”

रायबरेली/लखनऊ : रायबरेली जेल में बंद साइबर अपराधी दुर्गेश और संजय पांडेय से पूछताछ में सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाले खुलासे मिले हैं। दोनों का संपर्क न सिर्फ दुबई और पाकिस्तान से था, बल्कि लखनऊ के एक संदिग्ध अब्दुल के साथ भी सीधा जुड़ाव था। सूत्रों की मानें तो अब्दुल को दुर्गेश ने एक वर्ष में करीब 60 करोड़ रुपये नकद दिए, जिसे वह अयोध्या और गोंडा पहुंचाता रहा।
जानकारी के अनुसार दुर्गेश पाकिस्तान के रहीम के बताए खातों में विदेशी फंड ट्रांसफर करता था। रहीम की हर बार पाकिस्तान से आने वाली वॉट्सऐप कॉल के बाद अब्दुल रायबरेली पहुंचता और नकद रुपये लेकर चला जाता। खास बात यह कि अब्दुल हर बार चेहरा ढक कर आता था, जिससे उसकी पहचान आज तक नहीं हो सकी है।
राम मंदिर की सुरक्षा बढ़ी, एजेंसियां अलर्ट पर
इनपुट मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि अब्दुल, अयोध्या में किसी बड़ी आतंकी साजिश की तैयारी में लगा है। पहलगाम हमले के बाद राम मंदिर की सुरक्षा को और पुख्ता कर दिया गया है। अयोध्या के साथ-साथ गोंडा और अंबेडकरनगर जैसे सीमावर्ती जिलों पर भी विशेष नजर रखी जा रही है।
गोंडा पर क्यों फोकस कर रहीं एजेंसियां?
इस सवाल पर पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि गोंडा, नेपाल सीमा के पास होने और अयोध्या से नजदीकी के चलते आतंकी नेटवर्क के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। पिछले तीन वर्षों में गोंडा से एटीएस ने 11 संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा है। हाल ही में महाकुंभ के दौरान फरीदाबाद से पकड़े गए मिल्कीपुर निवासी आतंकी अब्दुल रहमान के तार भी इसी नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं।
कौन है अब्दुल?
सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है। चूंकि वह हर बार चेहरा ढककर आता था, उसकी पहचान मुश्किल बनी हुई है। हालांकि जांच एजेंसियों को मिले सुराग इशारा कर रहे हैं कि वह किसी बड़े आतंकी संगठन का सक्रिय सदस्य हो सकता है।
रायबरेली से अयोध्या, गोंडा और लखनऊ तक फैले इस नेटवर्क ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। पाकिस्तान, दुबई और भारत के बीच चल रहा यह फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट का चक्र देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।