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बेटे वीरेन्द्र का सियासी भविष्य और पिता हरीश रावत की प्रतिष्ठा दांव पर

हरिद्वार/ देहरादून: बहुत माथा पच्ची के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रतयाशी के नाम पर मुहर ही लगा दी। आपको बता दें कि वीरेन्द्र रावत के नाम पर मुहर लगने के बाद ये कहा जा सकता है कि हरीश रावत की पकड़ आलाकमान पर खासी है। अब हरीश रावत के बेटे का टिकट होने के बाद भले ही वो लोकसभा प्रत्याशी होगये लेकिन सियासी संग्राम और मुकाबला हरीश रावत से ही है।

ये कांग्रेस नेता ही नहीं वल्कि भाजपा का भी ये मानना है। बहरहाल आलाकमान ने हरीश रावत की गारंटी पर उनके बेटे वीरेंद्र रावत को टिकट दे दिया, इसलिए सियासी जानकार हरिद्वार के लोकसभा चुनाव को हरीश रावत के राजनीतिक भविष्य से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि वीरेंद्र का प्रदर्शन हरिद्वार लोस में हरीश रावत के दमखम को भी तय करेगा।

आपको बता दें कि 2009 के लोस चुनाव में हरिद्वार से सांसद रह चुके हरीश रावत की इस क्षेत्र में किसी न किसी बहाने सक्रियता रही है। सांसद बनने के बाद से हरीश समर्थकों की यह धारणा भी रही कि हरिद्वार में उनके नेता की जड़ें गहराई पकड़ चुकी हैं।हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी रेणुका रावत को इसी सीट से करारी शिकस्त और 2017 के विस चुनाव में खुद हरीश रावत की हरिद्वार ग्रामीण से मिली हार ने उनकी यह धारणा भी तोड़ दी, लेकिन 2022 के चुनाव में बेटी अनुपमा की जीत ने हरीश समर्थकों की उम्मीदों को पंख लगा दिए।

उन्होंने इस जीत को अपने नेता की हरिद्वार में मजबूत पकड़ के तौर पर देखा, मगर अब हरीश रावत के सामने बेटे को लोस चुनाव में जिताने की जिम्मेदारी है। एक तरह से यह उनका इम्तिहान भी है। हरीश भी सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं से मान रखने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिए लिखा है कि अपने आपको हरीश रावत समझकर कांग्रेस की जीत के लिए काम करें। उन्होंने किसी भी पद पर रहते हुए कार्यकर्ताओं के लिए भी दरवाजे बंद नहीं किए और न ही निराश किया।

कार्यकर्ताओं के लिए अपने प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज उनके राजनीतिक विवेक और समझ का इम्तिहान है।हर बार चुनावी पिच में उतरने वाले हरीश रावत इस बार लोकसभा चुनाव मैदान से बाहर है। वे एक कोच की तरह भूमिका निभा रहे हैं। इस बार चुनावी पिच पर बेटा वीरेंद्र को उतारा है। राजनीति के अनुभवी हरीश रावत बेटे को चुनावी पिच पर सियासी बल्लेबाजी के टिप्स दे रहे हैं। यही वजह है कि वे हरिद्वार सीट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

 

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