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अजब-गजब :आंखों से हैं अंधे ,लेकिन पानी में नजर आते हैं शव या जीवित इंसान

समस्तीपुर: समस्तीपुर के पटोरी प्रखंड क्षेत्र की चकसाहो पंचायत के भुल्लू साहनी एक प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं, जिन्होंने अपनी निडरता और साहस से समाज को यह सिखाया है कि शारीरिक विकलांगता कभी भी किसी इंसान की क्षमता और हिम्मत को सीमित नहीं कर सकती। भुल्लू साहनी, जो बचपन से ही आंखों से अंधे हैं, ने अपनी अद्भुत कला से 13 लोगों की जान बचाई है और 14 से अधिक शवों को पानी से बाहर निकाला है।

गजब की है तैरने की कौशल

भुल्लू साहनी का तैरने का कौशल समस्तीपुर जिले में बहुत प्रसिद्ध है।आंखों से अंधे होने के बावजूद, उनका पानी में तैरने का तरीका ऐसा है कि जब भी कोई दुर्घटना होती है, लोग तुरंत उन्हें ही खोजते हैं। भुल्लू साहनी का कहना है कि आंख से अंधा हूं तो क्या हुआ, हमारे पास जो हुनर है, वह योद्धा से कम नहीं है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी के पास आत्मविश्वास और कौशल हो, तो कोई भी शारीरिक बाधा उसे रोक नहीं सकती। उनका जीवन अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा है और यह दर्शाता है कि साहस और मेहनत से कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है।

समस्तीपुर जिले के दुम दुमा गांव के रहने वाले भुल्लू साहनी ने इस समाज में अपनी जगह बनाई है, जहां लोग उन्हें ‘पानी के योद्धा’ के नाम से जानते हैं। उनकी यह बहादुरी और कड़ी मेहनत न केवल उनके गांव, बल्कि समस्तीपुर जिले तक फैल चुकी है और उन्हें एक जीवित नायक के रूप में देखा जाता है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि शारीरिक क्षमता के बजाय मानसिक और भावनात्मक दृढ़ता से इंसान किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

आंख से विकलांग तैराक की कहानी

समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड क्षेत्र के चाकसाहो पंचायत निवासी कैलू साहनी के पुत्र भुल्लू साहनी ने अपनी जीवन यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि उनका घर नदी और तालाब के पास है और वे मलाह जाति से आते हैं। बचपन से ही वे तैराकी में माहिर थे, जो उनके पिता के साथ मछली पकड़ने के दौरान और भी बेहतर हो गई। भुल्लू साहनी ने कहा कि मैं आंख से अंधा जरूर हूं, लेकिन पानी के अंदर मेरी एक विशेष क्षमता है। जब मैं पानी में उतरता हूं, तो मुझे किसी व्यक्ति का शव या जीवित व्यक्ति साफ दिखाई दे जाता है और मैं उन्हें सुरक्षित बाहर निकालता हूं।

पुत्र भुल्लू साहनी ने आगे बताया कि उनका कहना था कि वे कई लोगों की जान बचा चुके हैं और कई डेड बॉडी भी पानी से बाहर निकाल चुके हैं । जब वे किसी मृत शरीर को पानी से निकालते हैं,तो उस व्यक्ति के परिवारवाले या पंचायत के मुखिया उन्हें आर्थिक सहायता देते हैं। उनकी यह विशेष क्षमता और साहस ने उन्हें इलाके में एक अनोखी पहचान दिलाई है।

साभार: न्यूज 18

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