Fri. Nov 22nd, 2024

उत्तराखण्ड में लोकायुक्त को लेकर उच्चन्यायालय के तेवर तल्ख

देहरादून: नैनीताल उच्च् न्यायालय में आज लोकायुक्त की नियुक्ति व लोकायुक्त संस्थान को सुचारु रूप से संचालित किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की गई । इस दौरान अदालत ने सरकार को प्रदेश में आठ सप्ताह में लोकायुक्त की नियुक्ति के आदेश दिए हैं। आपको बता दें कि इससे पूर्व हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से यह बताने के लिए कहा था कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी तक क्या किया और संस्थान जब से बना है तब से 31 मार्च 2023 तक इस पर कितना खर्च हुआ। कोर्ट ने इसका वर्षवार विवरण पेश करने के लिए कहा था।

आपको मालूम हो कि हल्द्वानी गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कीए जबकि संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। जनहित याचिका में कहा गया कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं।छोटे से छोटा मामला हाईकोर्ट में लाना पड़ रहा है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैंए जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में है।

वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नहीं है जिसके पास यह अधिकार हो कि वह बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी भी राजपत्रित अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजीकृत कर सके। विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा हैए जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालयए सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास रहता है।एक पूरी तरह से पारदर्शीए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच व्यवस्था राज्य के नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैए इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यही है कि पूर्व के विधानसभा चुनावों में राजनैतिक दलों द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने पर प्रशासनिक और राजनैतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *