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फर्जी मार्कशीट व डिग्री बेचने वाले गिरोह का सरगना सलाखों के पीछे

देहरादून: उत्तराखण्ड में अब माफियाओं की खैर नहीं चाहें भू -माफिया हों या फिर बता दें कि राजधानी में शिक्षा माफिया हों भू-माफिया उनका सलाखों के पीछे जाना तय है। आपकों बता दें कि फर्जी मार्कशीट व डिग्री बेचने वाले एक गिरोह के सरगना को उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया है आरोपित सवा महीने से फरार चल रहा था। आरोपित ने अपने एक साथी के साथ मिलकर एक फर्जी संस्था खोली थी।कोतवाली पुलिस सरगना के साथी को पहले गिरफ्तार कर चुकी है।

इस गिरोह में और भी सदस्य हो सकते हैं जिनकी पुलिस और एसटीएफ तलाश में जुटे हैं।एसएसपी ने बताया कि दो फरवरी 2023 को शहर कोतवाली पुलिस ने धारा चौकी स्थित एमडीडीए कांप्लेक्स में 10वीं व 12वीं की फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया था। इस मामले में एक आरोपित राज किशोर राय को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया थाए जबकि पुलिस महानिदेशक ने विवेचना एसटीएफ को सौंपी थी,जांच में पता चला कि आरोपितों ने एनसीआरई नाम से एक संस्था खोली हुई थी।

इस संस्था को ये मानव संसाधन विकास मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन होना बताते थे। इसी से ये लोगों को 10वीं और 12वीं की मार्कशीट बनाकर आठ से 10 हजार रुपये में बेचते थे। शुरूआती जांच में पता चला था कि सैकड़ों लोगों को इस तरह की मार्कशीट बनाकर बेची गई है।जांच के दौरान पता चला कि राज किशोर राय का एक और साथी सहेंद्र पाल है जो इस गिरोह का सरगना है। इसी क्रम में रविवार को एसटीएफ के इंस्पेक्टर अबुल कलामदारोगा यादवेंद्र बाजवा, दिलबर सिंह नेगी और नवीन जुराल ने टीम सहित दबिश देकर सहेंद्र पाल निवासी खतौली मुजफ्फरनगर को गिरफ्तार कर लिया।पूछताछ में सहेंद्र पाल ने बताया कि वह राजकिशोर राय को बीते आठ साल से जानता है।

राजकिशोर ने ही उसे फर्जी मार्कशीट बनाने की योजना बताई थी। इसके लिए उन्होंने एनसीआरई नाम की फर्जी संस्था खोली। इसमें वह खुद मेंबर था और राजकिशोर के साथ मिलकर फर्जी मार्कशीट छापता था।आरोपितों ने अब तक कितने लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट बेचे हैंए इसकी जांच एसटीएफ कर रही है। एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि अब तक यह सामने नहीं आया पाया कि आरोपितों ने किस.किसको सर्टिफिकेट बेचे हैं। उनका पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है। पूछताछ में सामने आया है कि आरोपितों ने बिहार के रहने वाले लोगों के अधिक फर्जी सर्टिफिकेट बनाए हैं।

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