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महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव की स्थिति को बदलने की जरूरत: रेखा आर्या

देहरादून: महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने आगामी 24 जनवरी को मनाए जाने वाले रास्ट्रीय बालिका दिवस के संबंध में विभागीय अधिकारियों को सभी तैयारियां पूर्ण करने के दिशा निर्देश दिए।कैबिनेट मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश की लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हमारे समाज लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा कम आंका जाता है। उन्हें पढ़ने के अवसर नहीं मिलते, वक्त से पहले शादी करा दी जाती है और फिर बच्चे की जिम्मेदारी। कहा कि उन्हें अपने सम्मान और अधिकार के लिए भी लड़ना पड़ता है ऐसे में इस दिन को लड़कियों के साथ ही समाज को भी शिक्षित और जागरूक करने का प्रयास किया जाता है।

इस दिन हर साल राज्य सरकारें अपने-अपने प्रदेश में कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन करती हैं। आज देश की बेटियां हर फील्ड में अपना परचम लहरा रही हैं। भारतीय समाज में आज से नहीं बल्कि काफी पहले से लैंगिक असमानता एक बड़ी चुनौती रही है। भारत सरकार ने महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव की इस स्थिति को बदलने और सामाजिक स्तर पर लड़कियों की हालत में सुधार करने के उद्देश्य से कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, बालिकाओं के लिए मुफ्त या अनुदानित शिक्षा और कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में सीटों का आरक्षण शामिल हैं। भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी और 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि ‘‘राष्ट्रीय बालिका दिवस‘‘ के अवसर पर ’’बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम‘‘ आहूत कर वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 हेतु 320 मेधावी बालिकाओं को डिजिटल एजुकेशन डिवाइस (स्मार्ट फोन) दिए जाएंगे।बता दे कि राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार ने 2008 में की थी। इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो, और बालिकाओ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।

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