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पंचायत चुनाव टलने की आशंका, प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है

देहरादून :  प्रदेश में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया एक बार फिर समय के चक्र में उलझती नजर आ रही है। एक ओर जहां 10 मई से बहुप्रतीक्षित चारधाम यात्रा शुरू हो रही है, वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक से भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में एक जून को जिला पंचायतों में कार्यरत प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव समय पर हो पाएंगे या नहीं, इस पर गंभीर संशय उत्पन्न हो गया है।

प्रदेश के 13 में से 12 जिलों में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। हरिद्वार जिले को छोड़ शेष सभी जिलों में पंचायती राज व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की तैयारी चल रही है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत अधिनियम में संशोधन अनिवार्य है। सरकार को पहले इस अधिनियम में संशोधन कर आरक्षण की प्रक्रिया स्पष्ट करनी होगी, जिसके बाद शासनादेश जारी किया जाएगा। शासनादेश के बाद विभिन्न वर्गों को आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा।

आरक्षण प्रक्रिया में लग सकता है लंबा समय

सूत्रों के अनुसार, आरक्षण की अंतरिम सूची के प्रकाशन के बाद आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इसके पश्चात इन आपत्तियों की विधिवत सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और महिलाओं के लिए आरक्षण की अंतिम सूची तय होने के बाद ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकेगी।

पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह संपूर्ण प्रक्रिया समय लेने वाली है और इसमें कई स्तरों पर कार्यवाही की आवश्यकता है। वहीं, इस दौरान प्रदेश में चारधाम यात्रा की शुरुआत भी हो रही है, जिसमें प्रशासन और पुलिस समेत अधिकांश सरकारी मशीनरी को तैनात किया जाता है। इससे पंचायत चुनाव की तैयारी प्रभावित हो सकती है।

प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है

गौरतलब है कि वर्तमान में जिला पंचायतों का संचालन प्रशासकों द्वारा किया जा रहा है, जिनका कार्यकाल एक जून को समाप्त हो रहा है। ऐसी स्थिति में यदि चुनाव प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती है, तो सरकार के पास प्रशासकों के कार्यकाल को बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहेगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में प्रशासकों को संवैधानिक व्यवस्था के तहत सीमित अवधि के लिए पुनः नियुक्त किया जा सकता है।

विभाग और निर्वाचन आयोग दोनों तैयार, लेकिन…

पंचायती राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार का कहना है कि विभाग चुनाव की तैयारी में जुटा है और जैसे ही आरक्षण संबंधी प्रक्रिया पूरी होती है, चुनाव कार्यक्रम जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचायत चुनाव कराने के लिए विभाग को कम से कम 28 दिनों की आवश्यकता होगी, जिसे ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जा रही है।

वहीं, राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि चुनाव आयोग पूरी तरह तैयार है, लेकिन अंतिम निर्णय सरकार को लेना है। “हमें अब तक आरक्षण की सूची प्राप्त नहीं हुई है। जब यह सूची मिलेगी, हम तत्परता से चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर देंगे।”

निष्कर्ष

चारधाम यात्रा की तैयारियों और ओबीसी आरक्षण से जुड़ी जटिलताओं ने पंचायत चुनाव की समय-सीमा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेकर आरक्षण प्रक्रिया को पूर्ण करना होगा, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में देरी न हो। अन्यथा राज्य को एक बार फिर से पंचायत चुनावों के टलने का सामना करना पड़ सकता है, और प्रशासकों का कार्यकाल अनिवार्य रूप से बढ़ाया जाएगा।

प्रदेश की जनता इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी निगाह बनाए हुए है, और उम्मीद कर रही है कि सरकार समय रहते स्थिति को स्पष्ट करेगी।

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