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फिल्म आदिपुरुष को लेकर केंद्रीय मंत्री बघेल बोले, साहित्य समाज का दर्पण होता है

भदोही: बॉलीवुड फिल्म आदिपुरुष को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री एस0पी0 सिंह बघेल ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, लेकिन जिसे पसंद नहीं है वह इस फिल्म को नहीं देखने के लिए स्वतंत्र है। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में बघेल ने आदिपुरुष फिल्म को लेकर उठे विवाद से जुड़े सवालों का जवाब दिया।बघेल ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित एक सवाल पर कहा, तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोग अपने वोट बैंक के प्रति बहुत सजग रहते हैं और इस प्रकार के बयान देते हैं। कश्मीर फाइल्स पर भी इसी तरह के बयान दिए गए थे, जबकि वह फिल्म कश्मीर में हो रही घटनाओं का चित्रण है।

उन्होंने कहा, साहित्य समाज का दर्पण होता है। वह चाहे लेखनी हो अथवा फिल्में हों या टेलीविजन। जिसे नहीं पसंद है वह देखने ना जाए, लेकिन साहित्य समाज का दर्पण है। चाहे चांदी.सोने में ही मढ़वा दो लेकिन दर्पण झूठ नहीं बोलता।गौरतलब है कि कथित रूप से रामायण का चित्रण करती बॉलीवुड फिल्म आदिपुरुष को लेकर सपा अध्यक्ष ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, जो राजनीतिक आकाओं के पैसे से एजेंडे वाली मनमानी फिल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं उनकी फिल्मों को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र देने से पहले उनके ‘राजनीतिक चरित्र का प्रमाणपत्र’ देखना चाहिए। क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है ?

फिल्म आदिपुरुष को लेकर अयोध्या,मथुरा, वाराणसी और राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में विरोध शुरू हो गया है। केंद्रीय मंत्री बघेल ने नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि दूसरी पार्टी के लोग अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को जनता के बीच बताने से बचते हैंए लेकिन मोदी सरकार के मंत्री नौ साल के कार्यकाल का हिसाब किताब लेकर अवाम के बीच जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता एक काजल की कोठरी है और प्रधानमंत्री तथा उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्य नौ साल के कार्यकाल में बेदाग बने हुए हैं यह कोई आम व्यक्ति नहीं कर सकता।

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