वक्फ (संशोधन) अधिनियम: धारा 3(आर), 3सी और 14 पर अंतरिम रोक, बाकी कानून लागू रहेगा

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर पूरी तरह रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि पूरे कानून पर रोक की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ प्रावधानों को अंतरिम संरक्षण दिया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिनियम की धारा 3(आर), 3सी और 14 को चुनौती दी गई है और इन्हीं पर अंतरिम रोक लगाई जा रही है।
अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगाई है जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पाँच साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य किया गया था। पीठ ने कहा कि यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा जब तक यह तय करने के लिए नियम नहीं बन जाते कि कोई व्यक्ति वास्तव में इस्लाम का पालन करता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर भी रोक लगाई है जो कलेक्टर को यह अधिकार देता था कि वह वक्फ घोषित संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित कर आदेश पारित कर सके। अदालत ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए और फिलहाल वक्फ परिषदों में कुल मिलाकर चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
आज का यह आदेश उस सुनवाई के बाद आया है जिसमें 22 मई को लगातार तीन दिन की बहस के बाद पीठ ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ताओं ने इस वर्ष की शुरुआत में संसद द्वारा पारित संशोधनों की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।