गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति महिलाएं अब होने लगी जागरुक : CMO
पौड़ी : स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और जच्चा बच्चा की सुरक्षा को लेकर की जा रही कसरत अब रंग लाने लगी है। जनपद पौड़ी में 26 प्रसव केन्द्रों में वित्तीय वर्ष 2023-24 में बेस चिकित्सालय श्रीकोट में सबसे अधिक 3242 प्रसव हुए। बेस चिकित्सालय कोटद्वार में 1607, जिला चिकित्सालय पौड़ी 503, उप जिला चिकित्सालय श्रीनगर में 260 प्रसव हुए। जबकि सी.एच.सी. पाबौ में 239 प्रसव के साथ ही अन्य प्रसव केन्द्रों को मिलाकर कुल 7179 संस्थागत प्रसव हुए हैं, जिसमें 392 गृह प्रसव शामिल हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 प्रवीण कुमार ने बताया कि संस्थागत प्रसव में बढ़े आकडों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति महिलाएं अब जागरुक होने लगी हैं विभाग द्वारा मातृत्व सुरक्षा से सम्बन्धित कार्यक्रमांे के सही ढंग से क्रियान्वयन से हम काफी हद तक संस्थागत प्रसवों को बढाने, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में सफल हुये हैं। कहा कि वर्तमान समय में बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही जनपद की समस्त आशा कार्यकत्री, ए.एन.एम. और प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान है।
विभाग का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्ता पूर्वक प्रसव पूर्व जांच की निःशुल्क सुविधा और बेहतर परामर्श के साथ ही सुरक्षित प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराना है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी आशा कार्यकत्री ए.एन.एम. व अन्य मेडिकल स्टाफ को समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए चिकित्सा इकाई तक लाने के लिए निःशुल्क वाहन सुविधा 108 जच्चा-बच्चा को घर ले जाने के लिए खुशियों की सवारी 102 की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।
इसके साथ ही प्रसव के 48 घंटे तक चिकित्सालय में रुकने पर राज्य सरकार द्वारा ईजा बोई शगुन योजना के तहत 2000 रु0 के साथ ही जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रूपये तथा शहरी क्षेत्र में 1000 रूपये की धनराशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान बीपी, शूगर, ज्यादा या कम वजन, खून की कमी से प्रसव सम्बन्धी जटिलताएं बढ़ जाती हैं। यदि गर्भवती महिलाएं अपना ए.एन.सी. रजिट्रेशन के उपरान्त अपना नियमित अन्तराल में चैकअप करवाती रहें तो प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है जिसमें खून की कमी वाली गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली के साथ ही पोषक पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है।
कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क अल्ट्रासाउंड और समस्त जांच की सुविधा प्रदान की जाती है। जनपद में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं की काव्या एप्प पर एंट्री करने के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रसव होने तक महिला के स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है। उन्होंने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को प्रसव की सम्भावित तिथि से 15 दिन पूर्व बर्थ वेटिंग रूम के तौर पर संचालित वन स्टाप सेंटर में रुकने की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है।