कृषि कानूनों की वापसी किसानों के साथ लोकतंत्र की बड़ी जीत: कॉंग्रेस
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून। प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद एक ओर किसानों में खुशी दौड़ पड़ी तो वहीं राजनीतिक पार्टियां इसे किसानों की जीत बताते हुए विभिन्न प्रतिक्रियाएं दे रही हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी ने भी किसान आंदोलन को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी है।
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जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस निर्णय को लोकतंत्र की जीत बता रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की मौत की जिम्मेदारी लेकर पद से त्यागपत्र देने की बात तक कह डाली। तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियां केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर भड़ास निकाल रही है। उधर किसान नेताओं ने तब तक आंदोलन खत्म न करने की बात कही है, जब तक सरकार संसद तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती और एमएसपी सहित अन्य मुद्दों पर स्पष्ट निर्णय नहीं देती।
जानिए कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा पर क्या बोले कांग्रेस नेता:
“अहंकार से चूर सत्ता नें उन तीन काले कानून, जो किसानों का गला घोट रहे थे, उन्हें वापस ले लिया है। यह किसान भाइयों की जीत है। एक हजार के करीब शहीदों की जीत है जिन्होंने अपने प्राण दिए, ताकि उनको जीत हासिल हो। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह लोकतंत्र की भी जीत है। मैं किसान भाईयों को इसके लिए बधाई देता हूं। – हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री व उत्तराखंड कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष।
“कृषि कानूनों की वापसी देश के किसानों की जीत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के किसानों और आम जनता से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी सभी विपक्षी दलों के साथ सड़क से लेकर सदन तक किसानों की आवाज उठाती रही, लेकिन मोदी सरकार औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने की नियत से किसानों और विपक्ष की आवाज दबाने का काम कर रही थी।” – गणेश गोदियाल, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखण्ड कांग्रेस।
“मोदी सरकार के कार्यकाल में नौजवान और किसान अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आए, और गरीब जनता भाजपा शासन में सबसे अधिक मायूस है। देश की जनता और अन्नदाता उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।” – मथुरा दत्त जोशी, प्रदेश महामंत्री संगठन, कांग्रेस।