शीतकाल के लिए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद
अभिज्ञान समाचार/ रुद्रप्रयाग/ उत्तरकाशी। हिमालय के प्रसिद्ध चार धामों में से दो पवित्र धाम केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट आज भैया दूज के दिन विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद शीतकाल के लिए बंद हो गए। सुबह 6 बजे केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई, जबकि सुबह 10 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
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सुबह 6:00 बजे बाबा केदार की पंचमुखी डोली को शीतकाल के लिए उखीमठ ले जाने की प्रक्रिया आरंभ हुई। प्रातः केदारधाम के पुजारी बागेश लिंग ने भगवान भैरव का आवाहन कर धर्म आचार्यों की उपस्थिति में स्वयंभू शिवलिंग को विभूति तथा फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजित किया। डेढ़ घंटे की पूजा अर्चना के बाद सुबह 8:15 पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बाबा केदार की पंचमुखी डोली को सेना के जवानों ने बैंड की धुन पर ओम नमः शिवाय और हर हर महादेव के जयकारे लगाते हुए ओमकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
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वहीं उत्तरकाशी जनपद के विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम में दोपहर 12:15 बजे कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह 10:00 बजे आरंभ हुई। 8:00 बजे खरसाली से अपनी बहन यमुना को लेने के लिए शनिदेव की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। इसके पश्चात विधि पूर्वक पूजा अर्चना की गई और माँ यमुना को मायके ले जाने के लिए तैयार किया गया। श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाए और शनिदेव की अगुवाई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मां यमुना की डोली शीतकाल के लिए खरसाली रवाना हुई। अब भक्त 6 माह तक खरसाली में ही मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे।