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राजधानी में क्लाउड सीडिंग प्रयोग नाकाम, बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी

दिल्ली : गुरुवार को घने धुएँ की मोटी परत में डूबी रही और हवा में घुला ज़हर फिर से ‘बेहद खराब’ स्तर पर पहुँच गया। राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 352 दर्ज किया गया, जो मंगलवार की तुलना में करीब 80 अंक अधिक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश इलाकों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर बनी रही। नोएडा, गाज़ियाबाद और गुड़गांव में भी हालात बेहद खराब रहे।

राजधानी के 38 निगरानी केंद्रों में से 32 ने वायु गुणवत्ता को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया, जबकि विवेक विहार (AQI 415) और आनंद विहार (AQI 409) जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण ‘गंभीर’ स्तर पर पहुँच गया। वज़ीरपुर, पंजाबी बाग़ और बवाना जैसे इलाकों में भी स्थिति चिंताजनक रही।

हालात बिगड़ने के बीच दिल्ली सरकार द्वारा आईआईटी कानपुर के सहयोग से की गई क्लाउड सीडिंग की कोशिशें विफल रहीं। कृत्रिम वर्षा कराने के लिए दो दौर के परीक्षण किए गए थे, लेकिन हवा में नमी की कमी के कारण एक भी बूंद बारिश नहीं हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, मंगलवार को वातावरण में केवल 10-15% नमी थी, जबकि क्लाउड सीडिंग के सफल होने के लिए कम से कम 50-60% आर्द्रता जरूरी होती है।

आईआईटी कानपुर ने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह मौसम की अनुकूल परिस्थितियों पर निर्भर है। इस असफल प्रयोग पर करीब ₹1.28 करोड़ की लागत आई। बारिश न होने से दिल्ली की हवा में प्रदूषक कणों का घनत्व और बढ़ गया, जिससे दृश्यता में भी भारी कमी देखी गई।

राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने पहले ही GRAP-II स्तर के प्रतिबंध लागू कर रखे हैं। निर्माण गतिविधियों पर रोक, स्कूलों में वैकल्पिक कक्षाओं की व्यवस्था और BS-VI मानकों का पालन न करने वाले व्यावसायिक वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी जैसे उपाय पहले से लागू हैं।

पिछले दो हफ्तों से दिल्ली का AQI लगातार 300 से 400 के बीच बना हुआ है, जो सामान्य सीमा से लगभग 20 गुना अधिक है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर से नागरिकों में चिंता बढ़ गई है और विशेषज्ञों ने संवेदनशील समूहों को घर से बाहर कम निकलने की सलाह दी है।

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