हेलीकॉप्टर हादसे में डीजीसीए दिशा-निर्देशों की अनदेखी, कंपनी पर गंभीर आरोप

रुद्रप्रयाग : चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं की विश्वसनीयता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं, जब गौरीकुंड और त्रियुगीनारायण के बीच स्थित गौरीमाई खर्क के घने जंगलों में एक भयानक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पायलट सहित सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा 15 जून की सुबह खराब मौसम और कम दृश्यता के चलते हुआ, जिसमें हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने से लेकर क्रैश होने तक सुरक्षा मानकों और दिशा-निर्देशों की गंभीर अनदेखी सामने आई है।
रुद्रप्रयाग पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस दुर्घटना के संबंध में आर्यन एविएशन कंपनी के एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक और मैनेजर विकास तोमर के खिलाफ सोनप्रयाग पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 105 और वायुयान अधिनियम, 1934 की धारा 10 के तहत कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई फाटा में तैनात राजस्व उप निरीक्षक राजीव नखोलिया की ओर से दर्ज कराई गई औपचारिक शिकायत के आधार पर की गई।
शिकायत में बताया गया है कि आर्यन एविएशन को 15 जून के दिन हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सुबह 6 से 7 बजे तक का प्रथम स्लॉट आवंटित किया गया था, जबकि हादसा उस निर्धारित समय से पहले, सुबह लगभग साढ़े पांच बजे ही घटित हुआ। यह स्पष्ट रूप से स्लॉट उल्लंघन और समय सीमा के भीतर निर्धारित दिशा-निर्देशों की अवहेलना को दर्शाता है।
इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने यह भी उल्लेख किया कि जिस समय हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी, उस समय से पहले ही आसमान में घने बादल छाए हुए थे और दृश्यता भी अत्यंत कम थी। इसके बावजूद उड़ान भरने से पूर्व मौसम की स्थिति की समुचित जांच नहीं की गई, जो कि उड़ान सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया है। शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि आर्यन एविएशन कंपनी और उसके प्रबंधकों द्वारा डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) और यूकाडा (उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन किया गया।
शिकायत में आगे कहा गया है कि कंपनी के प्रबंधकों को यह अच्छी तरह ज्ञात था कि मौसम की अनदेखी करना यात्रियों की जान को जोखिम में डालने के बराबर है, फिर भी उन्होंने इस पहलू को गंभीरता से नहीं लिया। यह लापरवाही न केवल कंपनी के कर्तव्यों के प्रति असावधानी को दर्शाती है, बल्कि इसे घातक उदासीनता भी माना जा रहा है, जिसका सीधा परिणाम सात लोगों की अनमोल जानों की क्षति के रूप में सामने आया।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, इस हादसे की गहन जांच शुरू कर दी गई है और तकनीकी तथा प्रशासनिक पहलुओं की भी समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हेलीकॉप्टर सेवाओं की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए प्रशासनिक और तकनीकी मानकों पर आधारित एक नई एसओपी तैयार की जाएगी, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
दुर्घटना में मृत यात्रियों के परिवारों के लिए जहां यह क्षति अपूरणीय है, वहीं यह हादसा उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की हेली सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। अब देखना होगा कि जांच के पश्चात दोषियों के खिलाफ क्या कठोर कदम उठाए जाते हैं और हेलीकॉप्टर सेवाओं की जवाबदेही किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित यात्रा कर सकें और इस पवित्र तीर्थयात्रा की गरिमा बनी रह सके।