हिन्दी दिवस: डिजिटल युग में हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता और संभावनाएँ

(सलीम रज़ा पत्रकार)
हमारे देश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारी मातृभाषा, यानी हिंदी, के सम्मान और प्रचार का दिन है। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह हमारी संस्कृति, हमारी सोच और हमारी पहचान का हिस्सा है। जब हम हिंदी बोलते हैं, लिखते हैं या पढ़ते हैं, तो हम अपने देश की विविधता और समृद्ध संस्कृति को समझते हैं।
हिंदी की शुरुआत बहुत पहले हुई थी। इसकी जड़ें संस्कृत और प्राकृत जैसी प्राचीन भाषाओं में हैं। पुराने समय में लोग संस्कृत और प्राकृत में बोलते और लिखते थे। धीरे-धीरे समय के साथ इन भाषाओं से हिंदी का विकास हुआ। हिंदी के कई रूप हैं, जैसे अवधी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली और भोजपुरी। इन बोलियों में कविताएँ, भजन और लोककथाएँ बनीं। उदाहरण के लिए, तुलसीदास ने “रामचरितमानस” लिखी, सूरदास ने भगवान कृष्ण के भजन गाए, और मीराबाई ने भक्ति भाव से भजन लिखे। इन सबने हिंदी को सिर्फ बोलने की भाषा ही नहीं, बल्कि भाव और संस्कृति की भाषा बना दिया।
19वीं और 20वीं सदी में हिंदी ने बहुत तेजी से विकास किया। इस समय हिंदी साहित्य ने समाज के कई मुद्दों को उठाया। जैसे कि प्रेमचंद ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में गरीबों की मुश्किलें, समाज के अन्याय और गाँव की जिंदगी को दिखाया। महादेवी वर्मा और जयशंकर प्रसाद ने हिंदी कविता को और सुंदर और भावनात्मक बनाया। इसी दौरान हिंदी समाचार पत्र और पत्रिकाएँ भी आईं, जैसे ‘सरस्वती’, ‘कुसुम’, और ‘मधुप’। इनसे हिंदी हर आम आदमी तक पहुँचने लगी।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया। तभी से इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया। इस दिन स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और सरकारी संस्थान कार्यक्रम करते हैं। वहाँ भाषण प्रतियोगिता, कविता पाठ, निबंध प्रतियोगिता और कवि सम्मेलन होते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी मातृभाषा कितनी महत्वपूर्ण है और हमें इसे प्यार और आदर देना चाहिए।
हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में बोली और पढ़ी जाती है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और खाड़ी देशों में भी हिंदी की पढ़ाई और प्रचार हो रहा है। विदेशों में बसे भारतीय अपने बच्चों को हिंदी पढ़ाते हैं और इस भाषा के महत्व को समझाते हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने भी हिंदी को और लोकप्रिय बनाया है। आज लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर हिंदी में वीडियो, पोस्ट और ब्लॉग बनाते हैं। इससे हिंदी युवाओं के बीच और भी ज्यादा पहुँच रही है।
हिंदी की ताकत सिर्फ बोलने और पढ़ने में नहीं है। डिजिटल दुनिया में भी हिंदी ने अपनी जगह बना ली है। अब हिंदी में वेबसाइट, मोबाइल ऐप, ब्लॉग और ई-बुक्स बन रही हैं। लोग अपनी पढ़ाई, व्यापार, सरकारी और निजी कामों के लिए हिंदी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही नहीं, अब हिंदी में तकनीक, डिजिटल मार्केटिंग, और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे काम भी सीखना आसान हो गया है। यह दिखाता है कि हिंदी सिर्फ पुरानी भाषा नहीं, बल्कि आधुनिक दुनिया की भी भाषा बन रही है।
हिंदी दिवस सिर्फ मस्ती करने का दिन नहीं है। यह हमें हमारी जिम्मेदारी याद दिलाता है। हमें अपनी मातृभाषा को अपनाना चाहिए, इसे रोज़मर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करना चाहिए। स्कूल और कॉलेज में हिंदी पढ़ना और लिखना बढ़ावा देना चाहिए। अपने घर, ऑफिस, सोशल मीडिया पर हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। हिंदी सिर्फ पढ़ने और लिखने की चीज़ नहीं है, यह हमारी सोच, हमारी पहचान और हमारी संस्कृति का हिस्सा है।
हिंदी साहित्य ने हमेशा समाज को जोड़े रखा है। कवि, लेखक, उपन्यासकार और पत्रकार हिंदी को आगे बढ़ाने में लगे रहे। आज भी हिंदी के कई पोर्टल, समाचार पत्र और चैनल हैं जो लोगों तक खबरें और जानकारी हिंदी में पहुंचाते हैं। इससे लोग अपने देश की खबरों और मुद्दों से जुड़े रहते हैं। हिंदी सिर्फ बोलने या लिखने की भाषा नहीं, बल्कि लोगों के बीच संवाद और समझ का जरिया भी है।
भारत एक बहुभाषी देश है, लेकिन हिंदी ने लोगों के बीच संवाद और एकता का काम किया है। हिंदी के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में लोग जुड़े, समाज सुधार के आंदोलन हुए और देश की तरक्की में योगदान मिला। यही कारण है कि हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की शक्ति और पहचान भी है।
आज की युवा पीढ़ी के लिए हिंदी को रोचक और आधुनिक बनाना भी जरूरी है। सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल, वेब सीरीज, फिल्मों और डिजिटल साहित्य ने हिंदी को आकर्षक बना दिया है। युवा अब हिंदी में पढ़ाई कर सकते हैं, काम कर सकते हैं, व्यापार कर सकते हैं और मनोरंजन भी हिंदी में कर सकते हैं। यह दिखाता है कि हिंदी सिर्फ पुराने समय की भाषा नहीं है, बल्कि यह आज और भविष्य की भाषा भी है।
हिंदी दिवस हमें यही याद दिलाता है कि हमारी भाषा हमारी असली पहचान है। इसे सीखना, बोलना और दूसरों तक पहुँचाना हमारी जिम्मेदारी है। हिंदी सिर्फ शब्दों का समूह नहीं है, यह हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा और हमारी सोच का हिस्सा है। जब हम हिंदी बोलते हैं, हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। जब हम हिंदी पढ़ते और लिखते हैं, हम अपने समाज और संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं।
हिंदी दिवस का संदेश यही है कि मातृभाषा का सम्मान करें। इसे रोज़मर्रा में अपनाएं। हिंदी का ज्ञान बढ़ाएं और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएं। हिंदी सिर्फ हमारी भाषा ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, हमारी पहचान और हमारे भविष्य का आधार भी है।
अंत में, हिंदी दिवस हमें यह सिखाता है कि हमारी भाषा हमारी ताकत है। इसे अपनाना, संरक्षित करना और इसे आगे बढ़ाना हर भारतीय का कर्तव्य है। हमारी मातृभाषा हमारी असली धरोहर है, और इसे हर दिन प्यार और आदर से बोलना, लिखना और समझना हमारे लिए गर्व की बात है।