ईगास-बग्वाल पर्व पर पूरे उत्तराखण्ड में होगी धूमधाम, मुख्यमंत्री आवास में विशेष आयोजन
देहरादून : उत्तराखण्ड की पारंपरिक लोकसंस्कृति और त्यौहारों को नई पहचान देने की दिशा में प्रदेश सरकार ने इस बार विशेष पहल की है। उत्तराखण्ड संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद् की उपाध्यक्ष श्रीमती मधु भट्ट ने गुरुवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि राज्य के लोकपर्व ईगास / बग्वाल को इस वर्ष पूरे प्रदेश में अत्यंत धूमधाम और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल लोक आस्था का प्रतीक है बल्कि उत्तराखण्ड की लोकजीवन, संस्कृति और सामूहिकता का प्रतीक भी है।
श्रीमती भट्ट ने बताया कि 1 नवम्बर 2025 को मुख्यमंत्री आवास में भी ईगास पर्व का आयोजन किया जाएगा, जहां मुख्यमंत्री स्वयं उपस्थित रहेंगे और पारंपरिक लोकनृत्यों, लोकगीतों तथा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पर्व की महिमा को साझा किया जाएगा। इस अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों से आए लोक कलाकार अपनी-अपनी परंपराओं का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि ईगास पर्व के अवसर पर प्रदेशभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में विधायक, जनप्रतिनिधि और स्थानीय समुदाय सक्रिय रूप से भाग लेंगे, ताकि इस पर्व को जनआंदोलन के रूप में स्थापित किया जा सके।
उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने यह भी जानकारी दी कि ईगास / बग्वाल पर्व के साथ ही उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष के कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह अवसर राज्य की सांस्कृतिक विरासत को पुनः जीवंत करने का है, इसलिए इस बार सभी कार्यक्रमों में “अपणो उत्तराखण्ड, अपनी पहचान” थीम रखी गई है।
रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला 1 नवम्बर से 9 नवम्बर 2025 तक देहरादून स्थित हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित की जाएगी। इस अवधि में उत्तराखण्ड के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्र के अन्य राज्यों — जैसे हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख — से भी सांस्कृतिक दल आमंत्रित किए गए हैं। ये दल अपने-अपने पारंपरिक नृत्य, संगीत, वेशभूषा और रीति-रिवाजों का प्रदर्शन करेंगे, जिससे हिमालयी सभ्यता की विविधता और एकता दोनों का परिचय मिलेगा।
श्रीमती भट्ट ने बताया कि परिषद् द्वारा विशेष रूप से युवा कलाकारों को मंच देने की व्यवस्था की जा रही है, ताकि नई पीढ़ी अपने लोकसंस्कृति के प्रति गर्व महसूस करे और उसकी विरासत को आगे बढ़ाए। परिषद् द्वारा “लोक से लोक तक” अभियान के तहत प्रत्येक जनपद में ईगास पर्व से संबंधित पारंपरिक खेल, लोकनृत्य प्रतियोगिताएं और लोकगीत उत्सव आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार लोकपर्वों के पुनर्जीवन को प्राथमिकता दे रही है और हर पर्व को राज्य गौरव से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। परिषद् का उद्देश्य उत्तराखण्ड की कला, संस्कृति और लोकपरंपराओं को न केवल राज्य के भीतर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाना है, ताकि “ईगास” जैसा लोकपर्व आने वाले वर्षों में प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान बन सके।