Fri. Nov 22nd, 2024

मिस्र के राजा की रहस्यमयी मूर्तियां,सूर्य किरण टकराने पर निकलती थी आवाज!

आधुनिक मिस्र के लक्सर शहर के सामने नील नदी के पश्चिमी तट पर दो विशाल पत्थर की मूर्तिया हैं, जिन्हें ‘कोलोसी ऑफ मेमनोन’ के नाम जाना जाता है। लगभग 60 फीट ऊंची ये रहस्यमयी मूर्तियां प्राचीन मिस्र के फिरौन (राजा) अमेनहोटेप III की हैं, जिनको ‘सिंगिंग’ स्टैच्यू के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि हर सुबह सूरज की किरणों से टकराने पर उनसे संगीतमय ध्वनि निकलती थी। इन्हीं मूर्तियों की एक तस्वीर वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर ये तस्वीर @archeohistories नाम के यूजर ने पोस्ट किया है। उन्होंने कैप्शन में मूर्तियों को लेकर अहम जानकारी भी बताई है, जिसमें लिखा गया है, ‘फिरौन अमेनहोटेप III की दो विशाल पत्थर की मूर्तियां 1350 ईसा पूर्व में बनकर तैयार हुईं, जो एक मंदिर के सामने खड़ी थीं, लेकिन 1200 ईसा पूर्व भूकंप से डैमेज हो गईं। 27 ईसा पूर्व में एक और भूकंप ने मूर्तियों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था। ’

किस स्थित में हैं फिरौन मूर्तियां?

amusingplanet। com की रिपोर्ट के अनुसार, मूर्तियों में फिरौन अमेनहोटेप III को बैठी हुई स्थिति में दर्शाया गया है। उसके हाथ उसके घुटनों पर रखे हुए हैं और उसकी नजर पूर्व दिशा में नदी की ओर है। एक समय पर ये दोनों मूर्तियां अमेनहोटेप के स्मारक मंदिर के प्रवेश द्वार पर खड़ी हुई थीं। कभी ये मंदिर भव्य हुआ करता था, लेकिन भूकंपों से तहस नहस होने के बाद आज सिर्फ उसके कुछ ही अवशेष बचे हैं।

मूर्तियों से निकलती थी ध्वनि

इन मूर्तियों को लेकर एक दिलचस्प किंवदंती है। 27 ईसा पूर्व में जब भूकंप ने मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके टूटने के बाद, इन मूर्तियों के हिस्सों में से एक अजीब संगीतमय ध्वनि आने लगी, जो आमतौर पर सूर्योदय के समय होती थी, इसलिए शुरुआती ग्रीक और रोमन पर्यटक जो यहां ध्वनि सुनने आए थे, उन्होंने मूर्ति को ‘मेमनॉन’ नाम दिया।

मूर्तियों में से निकलती थी कैसी ध्वनि?

सिंगिंग स्टैच्यू का सबसे पहला लिखित संदर्भ ग्रीक इतिहासकार और भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो से मिलता है, जिन्होंने 20 ईसा पूर्व में एक यात्रा के दौरान ध्वनि सुनने का दावा किया था। स्ट्रैबो ने कहा कि यह ‘एक झटके की तरह’ लग रहा था। दूसरी सदी के यूनानी यात्री और भूगोलवेत्ता पॉसानियास ने इसकी तुलना ‘वीणा के तार’ के टूटने से की। अन्य कुछ लोगों ने इनसे निकलने वाली आवाज को पीतल पर चोट करने से उत्पन्न ध्वनि या सीटी बजाने जैसी बताया। फिर 199 ईस्वी के आसपास रोमन सम्राट सेप्टिमियस सेवेरस ने मूर्तियों करवाई और फिर उसके बाद उनमें से निकलने वाली आवाज को कभी नहीं सुना गया।

 

Sources:News 18

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *