चारधाम यात्रा में प्रीपेड बुकिंग व्यवस्था लागू, संचालन में पारदर्शिता पर जोर

देहरादून : गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही 1 मई से पवित्र चारधाम यात्रा की शुरुआत हो रही है। इस वर्ष यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। खासकर पैदल मार्गों पर घोड़ा-खच्चर सेवाओं को बेहतर और व्यवस्थित करने पर विशेष जोर दिया गया है।
केदारनाथ और यमुनोत्री के लिए कुल 8,700 से अधिक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण हो चुका है, जिनमें से 4,300 से अधिक संचालक सेवा देंगे। उत्तराखंड की आर्थिकी में चारधाम यात्रा का अहम योगदान है और यह घोड़ा-खच्चर, होटल, परिवहन जैसे क्षेत्रों से जुड़े हजारों लोगों की आजीविका का प्रमुख आधार है।
केदारनाथ धाम: स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही सेवा
गौरीकुंड से केदारनाथ तक लगभग 18 किलोमीटर के पैदल मार्ग पर इस बार 5,000 से अधिक घोड़े-खच्चर पंजीकृत हैं। पशुपालन विभाग द्वारा इनके स्वास्थ्य की जांच कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। मार्ग में 13 स्थानों पर गर्म पानी की व्यवस्था की गई है ताकि जानवरों को थकान से राहत मिले। साथ ही, पाँच डॉक्टर और सात पैरावेट, सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक विभिन्न स्थानों पर नियुक्त किए गए हैं।
यमुनोत्री धाम: जानकीचट्टी में अस्थाई पशु चिकित्सालय
यमुनोत्री यात्रा मार्ग के लिए 3,700 से अधिक घोड़े-खच्चर पंजीकृत हुए हैं। जानकीचट्टी में अस्थाई पशु चिकित्सालय की स्थापना की गई है, जिसमें चार डॉक्टर, चार पशुधन प्रसार अधिकारी और दो सहायक तैनात किए गए हैं। मार्ग पर छह स्थानों पर गीजर लगाए गए हैं ताकि जानवरों को गर्म पानी उपलब्ध हो सके।
प्रीपेड बुकिंग और निगरानी व्यवस्था
श्रद्धालुओं को सुविधाजनक सेवा मिल सके इसके लिए केदारनाथ मार्ग पर सोनप्रयाग, गौरीकुंड, भीमबली, लिंचौली और रुद्रप्वाइंट में प्रीपेड बुकिंग काउंटर बनाए गए हैं। यमुनोत्री के लिए जानकीचट्टी में काउंटर स्थापित किया गया है। संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए संचालकों को नंबर युक्त जैकेट दिए जा रहे हैं और हर घोड़ा-खच्चर को प्रति दिन केवल एक बार धाम तक जाने की अनुमति होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यात्रा में केवल पूरी तरह से स्वस्थ पशुओं को ही शामिल किया जाए और मार्ग पर भी नियमित स्वास्थ्य परीक्षण होते रहें। शासन का उद्देश्य श्रद्धालुओं की यात्रा को सुरक्षित, सुखद और सुविधाजनक बनाना है।