खुशियों की रोशनी फैलाएँ, प्रदूषण नहीं – मनाएँ ग्रीन दीपावली
 
                
(सलीम रज़ा पत्रकार )
दीपावली हमारे देश का सबसे रोशनी भरा और खुशियों से जुड़ा त्यौहार है। यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का प्रतीक माना जाता है। हर साल लोग दीपावली के अवसर पर अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। लेकिन समय के साथ इस त्यौहार का स्वरूप काफी बदल गया है। पहले जहाँ दीपावली मिट्टी के दियों, फूलों और प्राकृतिक सजावट से मनाई जाती थी, वहीं अब पटाखों और बिजली की रोशनी ने उसकी जगह ले ली है। इस कारण प्रदूषण और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है। इसी वजह से अब “ग्रीन दीपावली” यानी “पर्यावरण के अनुकूल दीपावली” मनाने की परंपरा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ग्रीन दीपावली का मतलब है—ऐसी दीपावली मनाना जिससे पर्यावरण को कोई हानि न हो। इसका अर्थ यह नहीं कि हम त्यौहार की खुशी कम करें, बल्कि हम उसे एक जिम्मेदार तरीके से मनाएँ। पटाखों से निकलने वाला धुआँ हवा में ज़हर घोल देता है, जिससे साँस की बीमारियाँ, आंखों में जलन और ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। कई छोटे बच्चे, बुजुर्ग और जानवर इस प्रदूषण से बहुत परेशान होते हैं। इसके अलावा हर साल लाखों रुपये पटाखों पर खर्च करने से केवल कुछ मिनट की खुशी मिलती है, जबकि उसका असर पर्यावरण पर लंबे समय तक रहता है।
ग्रीन दीपावली मनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम पारंपरिक मिट्टी के दीये जलाएँ। ये न केवल सुंदर दिखते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं। इन दियों को स्थानीय कुम्हार बनाते हैं, जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ती है। इससे हम देश के छोटे कारीगरों की मदद भी करते हैं। इसके अलावा बिजली की रोशनी की जगह सोलर लाइट या कम बिजली खर्च करने वाले बल्बों का प्रयोग किया जा सकता है। इससे ऊर्जा की बचत होती है और प्रदूषण भी कम होता है।
दीपावली पर घर की सफाई के बाद पुराने सामान को फेंकने की बजाय उसका पुनः उपयोग करना भी एक अच्छा तरीका है। इससे कचरा कम होगा और संसाधनों की बर्बादी नहीं होगी। मिठाइयाँ और उपहार देते समय प्लास्टिक की पैकिंग से बचना चाहिए। उसकी जगह पेपर या कपड़े के थैले इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह छोटा-सा बदलाव हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
दीपावली सिर्फ आतिशबाज़ी या दिखावे का त्यौहार नहीं है। यह अपने परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने का त्यौहार है। हम अगर इस खुशी में प्रकृति को भी शामिल करें, तो यह त्यौहार और भी सुंदर बन जाएगा। जब हमारे आस-पास का वातावरण स्वच्छ, शांत और रोशन रहेगा, तभी दीपावली का असली अर्थ पूरा होगा।
ग्रीन दीपावली का संदेश यही है कि हम आधुनिकता के साथ अपनी परंपराओं को भी जीवित रखें। हमें यह समझना होगा कि छोटी-छोटी सावधानियाँ जैसे पटाखों से दूरी, मिट्टी के दीयों का उपयोग, बिजली की बचत, और स्वच्छता बनाए रखना, ये सब मिलकर एक बड़ी सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत कर सकते हैं।
इस दीपावली पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम खुशियाँ तो मनाएँगे, लेकिन प्रकृति की कीमत पर नहीं। हम रोशनी फैलाएँगे, लेकिन धुआँ नहीं। हम मुस्कान बाँटेंगे, लेकिन शोर नहीं। जब हर घर में रोशनी होगी और हवा स्वच्छ रहेगी, तभी सच में यह त्यौहार “हर दिल की दीपावली” बन सकेगा।