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अयोध्या में दिखा भारतीय संस्कृति का आकर्षण, एरोल मस्क हुए मंत्रमुग्ध

अयोध्या : दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के पिता एरोल मस्क मंगलवार को अयोध्या के दिव्य और भव्य राम मंदिर पहुंचे। स्वर्ण जड़ित रामलला के दर्शन कर उन्होंने श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना की। उनके साथ उनकी बेटी अलेक्जेंड्रा मस्क और अन्य विदेशी सहयोगी भी मौजूद थे। सभी ने भारतीय पारंपरिक वेशभूषा कुर्ता-पजामा धारण कर राम मंदिर की भव्यता का अनुभव किया।

मंदिर में उन्हें पुजारियों ने रामनामी अंगवस्त्र पहनाया, जिसके बाद वे भावविभोर हो उठे। उन्होंने मंदिर निर्माण की अद्भुत वास्तुकला और उसकी आध्यात्मिक गरिमा की सराहना की। इससे पहले एरोल मस्क ने हनुमानगढ़ी मंदिर में भी दर्शन किए और भगवान हनुमान की पूजा की।

एरोल मस्क बोले – “भारत के लोग विश्व में सबसे अच्छे व्यवहार वाले”

महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत करते हुए एरोल मस्क ने कहा:

“भारत और अमेरिका के संबंध भविष्य में और भी बेहतर होंगे। भारतीय लोग उदार, शांतिप्रिय और बेहद मानवीय होते हैं। उनसे मिलना हमेशा एक सकारात्मक अनुभव होता है।”

उन्होंने कहा कि वे भारतीय संस्कृति को पहले से जानते हैं, क्योंकि अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है और वहां उन्होंने भारतीयों की संस्कृति और मूल्यों को निकट से देखा है।

“जब एरोल मस्क अयोध्या आ सकते हैं तो बाकी दुनिया क्यों नहीं?” – डॉ. विवेक बिंद्रा

प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विवेक बिंद्रा, जो एरोल मस्क की भारत यात्रा के सह-आयोजक हैं, ने कहा:

“एरोल मस्क जैसे वैश्विक व्यक्तित्व जब रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या आ सकते हैं, तो हर भारतवासी को भी अब इसमें संकोच नहीं करना चाहिए।”

उन्होंने बताया कि एरोल मस्क की यात्रा भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्धा और वैश्विक स्तर पर राम मंदिर की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

वैश्विक मानचित्र पर राम मंदिर की पहचान

राम मंदिर न केवल भारत का आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि अब यह विश्व पर्यटन, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक प्रभाव के रूप में स्थापित हो चुका है। एरोल मस्क की यह यात्रा इस बात की पुष्टि है कि अयोध्या अब एक वैश्विक आध्यात्मिक धरोहर बन चुकी है।

एरोल मस्क की अयोध्या यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक संस्कृति, आध्यात्मिकता और भारत के प्रति वैश्विक सम्मान का प्रतीक है। उनकी उपस्थिति ने यह संदेश भी दिया कि आधुनिकता के साथ-साथ आध्यात्मिक विरासत का सम्मान भी उतना ही जरूरी है।

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