देश का सबसे संस्कारी गांव, कोई नहीं बोलता अपशब्द,रामराज जैसी फीलिंग
जब गांव की बात आती है तो मन में गरीबी और पिछड़ेपन के ख्याल आते हैं, लेकिन देश में कई ऐसे गांव हैं, जहां सही मायने में रामराज कायम है। यहां लोगों के बीच प्रेम और परिवार की तरह मिलजुलकर रहने की सदियों पुरानी परंपरा अद्भूत है। इस गांव में कोई भी व्यक्ति कोई अपशब्द नहीं बोलता। यह गांव है गुजरात के राजकोट जिले में। इसका नाम है राजसमढियाला। यहां सभी बुनियादी सुविधाएं अच्छी स्थिति में है। कोई गरीब नहीं है। यहां की समृद्धि विदेश को टक्कर देती है। यूं कहें कि इस गांव में सही मायने में रामराज कायम है। इस गांव में न तो कभी पुलिस आई है और न ही कोई पीड़ित है। यहां गली-गली समृद्ध रामराज की परिकल्पना साकार होती है। गांव ने अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं।
पूरा गांव वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरों से लैस है। इस गांव की मुख्य सड़कें सीमेंट से बनी हैं। कहीं भी खुली नालियां नहीं हैं। पूरे गांव में भूमिगत जल निकासी लाइनें लगी हुई हैं। सोलर स्ट्रीट लाइटें हैं। गांव के लोगों को स्वच्छ पानी मिले इसके लिए जलापूर्ति की विशेष व्यवस्था है। यहां का आंगनवाड़ी केंद्र बहुत अच्छा है। यहां एक प्राथमिक और एक माध्यमिक विद्यालय है। एक उप डाकघर है। गांव में ही इलाज मिल सके इसके लिए पीएचसी सेंटर है। इस गांव में करीब 300 घर हैं। करीब 100 कारें हैं। यानी हर तीसरे घर में एक कार है। गांव की ग्राम पंचायत की फिक्स डिपॉजिट दो करोड़ रुपये है।
गांव को मिले कई पुरस्कार
गांव को राष्ट्रीय ग्राम विकास पुरस्कार, राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ जल संचयन पुरस्कार, राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा निर्मल ग्राम पुरस्कार, तीर्थग्राम पुरस्कार, समरस ग्राम पंचायत पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
यह राजकोट से लगभग 22 किमी दूर है। यहां बीते 30 वर्षों में कोई अपराध नहीं हुआ। यहां कभी भी पुलिस की कोई जीप नहीं आई। गांव के लोगों और पंचायत द्वारा तय नियम ही इस गांव के कानून हैं। यहां की लोक अदालत ग्रामीणों के लिए सर्वोच्च है। ग्रामीणों को कभी कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ा। लोक अदालत और ग्राम पंचायत समिति ही न्याय करती है। हर छोटी-बड़ी समस्या ग्राम पंचायत में प्रस्तुत की जाती है, जिसके बाद यहां पंचायत समिति की बैठक होती है और फैसले को सब स्वीकार करते हैं।
51 रुपये का जुर्माना
गांव के खास नियम की बात करें तो कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा नहीं फेंक सकता, अगर वह कूड़ा फेंकता है तो उसे 51 रुपये का जुर्माना देना पड़ता है। कोई किसी को अपशब्द नहीं बोल सकता। किसी को नशा करने की इजाजत नहीं है। गांव में न तो गुटखा और न ही तंबाकू की बिक्री होती है। जो भी व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करेगा उसे 51 रुपये जुर्माना देना होगा।
राज समधियाला में लोग अपनी मर्जी से किसी पेड़ की शाखा भी नहीं काट सकते, यहां पेड़ या उसकी शाखा काटना भी अपराध है। यह गांव वर्षों से प्लास्टिक मुक्त है। यहां जब कोई व्यक्ति कोई सामान खरीदता है तो पैकेट पर ही खरीदने वाले का नाम लिख दिया जाता है, जिससे प्लास्टिक फेंका जाए तो पता चल जाए कि किसने फेंका है। नशेड़ियों या इधर-उधर गंदगी फैलाने वालों को दंडित करने का प्रावधान है।
राज समदियाला में आज तक ग्राम पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं। यहां सरपंच का निर्धारण चुनाव से नहीं बल्कि चयन से होता है। सरपंच का कार्यकाल पूरा होने पर गांव के लोग एकत्रित होकर किसी को अन्य सरपंच और ग्राम पंचायत सदस्य की जिम्मेदारी सौंप देते हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस गांव के लोग हमेशा चुनावी प्रक्रिया से अलग रहते हों। गांव में जब विधानसभा या लोकसभा चुनाव होते हैं, तो यहां के लोग मतदान के प्रति अभूतपूर्व जागरूकता दिखाते हैं। जहां राज्यव्यापी मतदान का प्रतिशत लगभग 60 रहता है वहीं राज समधियाला गांव में लगभग 96% मतदान होता है।
Sources: News 18