राष्ट्र इस दुख की घड़ी में साथ खड़ा है: राष्ट्रपति मुर्मू का भावुक संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने इस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के प्रति अपनी गहन संवेदनाएं प्रकट कीं और इसे ‘दिल दहलाने वाली दुर्घटना’ बताया। यह हादसा उस समय हुआ जब एयर इंडिया की एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान (एआई-171), जो लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद अपराह्न लगभग 1:40 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में चालक दल के सदस्यों सहित कुल 242 लोग सवार थे।
इस दुर्घटना में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का निधन भी हो गया, जिन्हें राष्ट्रपति ने एक जनसेवक के रूप में याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर शोक संदेश साझा करते हुए लिखा, “अहमदाबाद में विमान दुर्घटना में हुई जान-माल की क्षति बेहद दिल दहलाने वाली है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। देश ने इस त्रासदी में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जी को भी खो दिया है। रूपाणी जी हमेशा लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध थे। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करती हूं।”
राष्ट्रपति ने इस भयावह दुर्घटना को ‘हृदय विदारक आपदा’ करार दिया और कहा कि यह देश के लिए एक अवर्णनीय दुख की घड़ी है। उन्होंने प्रभावित लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा, “यह हृदय विदारक आपदा है। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं प्रभावित लोगों के साथ हैं। राष्ट्र इस अवर्णनीय दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।”
इस विमान दुर्घटना में अब तक 297 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 229 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य शामिल हैं। विमान के एक आवासीय क्षेत्र में गिरने से वहां रह रहे 56 लोग भी इसकी चपेट में आ गए और उनकी भी मौत हो गई। यह त्रासदी न केवल विमान में सवार यात्रियों के लिए बल्कि ज़मीन पर मौजूद निर्दोष लोगों के लिए भी जानलेवा साबित हुई।
इस राष्ट्रीय शोक की घड़ी में राष्ट्रपति के संवेदनशील और करुणामय शब्द पीड़ित परिवारों के लिए एक सहारा बने हैं। उनका यह संदेश न केवल दुख साझा करता है बल्कि इस बात का भी प्रतीक है कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था आम नागरिकों के दुःख में साथ खड़ी है। राष्ट्रपति के इन शब्दों ने यह स्पष्ट किया है कि जब भी देश किसी आपदा से गुजरता है, संवेदनाएं और मानवीयता ही सबसे बड़ा बल बनती हैं।