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रोते-रोते बेहोश होने वाली मां निकली मासूमों की कातिल

मुजफ्फरनगर : जनपद के भोपा थाना क्षेत्र के रुड़कली तालाब अली गांव में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। एक मां, जिसने अपनी ममता की गोद में बच्चों को दूध पिलाया, लोरी सुनाकर सुलाया, उसी मां ने प्रेम प्रसंग के जाल में फंसकर अपने ही कलेजे के टुकड़ों को जहर दे दिया। चार साल का मासूम अरहान और महज एक साल की नन्ही अनाया—इन दोनों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस मां की गोद को उन्होंने सबसे सुरक्षित जगह समझा, वहीं उनके लिए मौत बन जाएगी।

घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। बच्चे जब मृत मिले तो मां मुस्कान कभी बेहोश होने का नाटक करती रही, कभी रोने का। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह आंसू एक भयानक सच को छुपा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भले मौत की वजह स्पष्ट न हो पाई हो, लेकिन पुलिस की पूछताछ में जो खुलासा हुआ, वह दिल को चीर देने वाला था—मुस्कान ने ही अपने बच्चों को जहर देकर मारा।

बच्चों की मौत की सूचना मिलते ही पति वसीम, जो चंडीगढ़ में वेल्डिंग का काम करता है, टूट गया। वह दो दिन पहले ही अपने गांव से काम पर गया था। उसके लौटने पर उसे दो शवों के सिवा कुछ नहीं मिला। बच्चे, जिन्हें उसने चूमा था, खेलते देखा था, अब हमेशा के लिए खामोश हो चुके थे।

पुलिस ने मुस्कान से मोबाइल मांगा, लेकिन उसने कहा मोबाइल कहीं गुम हो गया है। कॉल करने पर मोबाइल स्विच ऑफ मिला। इस बात से शक गहराया और जब पुलिस ने गहराई से पूछताछ की, तो मुस्कान ने टूटकर स्वीकार किया कि उसने ही दोनों बच्चों को जहर दिया था। यह सुनते ही पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया।

परिजनों के अनुसार वसीम की मुस्कान से दूसरी शादी थी। इससे पहले उसकी पहली शादी भी टूट चुकी थी। लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि यह दूसरी शादी इस कदर बर्बादी की ओर जाएगी, जिसमें मासूमों की जान चली जाएगी।

जब वसीम के भाई डॉ. अकरम ने बच्चों को देखा तो वे दुनिया छोड़ चुके थे। अब पीछे रह गया है एक बिखरा हुआ पिता, जिसने दो बार विवाह किया, लेकिन दोनों बार सुख की उम्मीद को मात मिली। बच्चों की मासूम मुस्कान अब घर में नहीं गूंजेगी। उन छोटे-छोटे कदमों की आहट जो कभी आंगन में गूंजती थी, अब हमेशा के लिए थम गई है।

यह घटना एक सवाल छोड़ जाती है—ममता भी क्या इतनी कमजोर हो सकती है कि वह मोह और भ्रम में अपनी कोख से जन्मे बच्चों को मिटा दे? गांव की फिजाओं में अब भी वह मासूम हंसी गूंज रही है, जो अब कभी लौटकर नहीं आएगी।

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